
मशरूम की खेती यानी कम लागत में अधिक लाभांश Publish Date : 06/06/2025
मशरूम की खेती यानी कम लागत में अधिक लाभांश
डॉ0 गोपाल सिंह एवं प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
वर्तमान समय में मशरूम मांग के लगातार बढ़ने से इसकी खेती तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है और यह किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प के रूप में उभर रही है। सीमित संसाधनों में अधिक मुनाफ़ा कमाने की क्षमता के कारण यह खेती छोटे, मध्यम किसानों के साथ ही शहरी क्षेत्रों के लिए भी काफी उपयुक्त है।
मशरूम की खेतीः
कम लागतः मशरूम की खेती की शुरुआत करने के लिए कोई भारी भरकम पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है।
कम स्पेस में भी संभवः मशरूम की खेती घर के किसी कोने या कमरे में भी आसानी से की जा सकती है।
तीव्र उत्पादनः मशरूम 3 से 4 हफ्तों में तैयार हो जाती है, जिसके चलते किसान भाईयों की आय भी जल्द मिलना शुरू हो जाती है।
निरंतर बढ़ती मांगः होटल, रेस्टोरेंट और घरेलू रसोई में मशरूम की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे बाज़ार में इसकी अच्छी कीमत भी मिल जाती है।
मशरूम की खेती शुरुआतः
मशरूम की खेती में किसान भाई बटन मशरूम, ऑयस्टर मशरूम या मिल्की मशरूम जैसी किस्मों से शुरुआत कर सकते हैं। मशरूम की खेती के लिए किसान को चाहिएः-
गुणवत्तापूर्ण बीज (स्पॉन):
- कृषि अवशेष जैसे पुआल या भूसा।
- मशरूम के लिए उचित तापमान, नमी और स्वच्छ वातावरण।
- बुनियादी प्रशिक्षण, जो कि किसन भाई किसी सरकारी या निजी संस्थानों से प्राप्त कर सकते हैं।
- कंपोस्ट बनाना और उसे थैलियों या ट्रे में भरकर मशरूम उत्पादन की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
किसानों के लिए सुनहरा अवसर
मशरूम न केवल पोषण से भरपूर होता है, बल्कि यह किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भी मदद कर रहा है। यदि किसान भाई पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया और लाभकारी करना चाहते हैं, तो उनके लिए मशरूम की खेती एक शानदार विकल्प हो सकती है।
कम लागत, कम स्थान और अधिक लाभ - यही है मशरूम की खेती की विशेषता।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।