सूरजमुखी की उन्नत खेती      Publish Date : 11/05/2025

                      सूरजमुखी की उन्नत खेती

                                                                                                                              प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी

सूरजमुखी एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। बेहतर मुनाफा देने वाली इस फसल को नकदी खेती के रूप में भी जाना जाता है। सुरजमुखी देखने में जितना खूबसूरत होता है, स्वास्थ्य के लिए उससे कहीं ज्यादा फायदेमंद भी होता है। इसके फूलों व बीजों में कई औषधीय गुण छिपे होते हैं। सुरजमुखी के बीज में खाने योग्य तेल की मात्रा 48 से 53 प्रतिशत तक होती है।

सूरजमुखी की खेती किसी भी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। इसकी खेती उस भूमि में की जा सकती है. जिस भूमि में धान की खेती नहीं की जा सकती है।

सूरजमुखी की उन्नत किस्में

                                                  

सूरजमुखी की उन्नत संकर किस्में जैसे बी.एस.एच.-1. एल.एस.एच.-1. एल.एस.एच.-3. के.वी.एस.एच.-1. के.वी.एस.एच.-41. के.वी.एस.एच.-42, के.वी.एस.एच.-44, के.वी.एस.एच.-53. के. वी.एस.एच.-78. डी. आर. एस.एच.-1. एम. एस.एफ.एच.-17. मारुती, पी.एस.एफ. एच.-118. पी.एस.एफ. एच.-569, सुर्यमुखी, एस.एच.-332. पी.के.वी.एस.एच.-27, डी.एस.एच.-1. टी.सी.एस.एच.-1. एन.डी.एस.एच.-1 आदि उपयुक्त किस्में हैं।

सूरजमुखी की बुआई

सूरजमुखी की बुआई में संकर प्रजाति का बीज 5-6 कि.ग्रा./हैक्टर तथा संकुल प्रजाति का स्वस्थ बीज 12-15 कि.ग्रा./हैक्टर पर्याप्त होता है। बुआई से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम अथवा थीरम की 2.5 ग्राम मात्रा से बीज उपचार अवश्य करें।

उर्वरक का प्रयोग

सामान्यतः सूरजमुखी की फसल में उर्वरक का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। मृदा परीक्षण न होने की दशा में 40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा. फॉस्फोरस, 40 कि.ग्रा. पोटाश एवं 200 कि.ग्रा. जिप्सम प्रति हैक्टर की दर से बुआई के समय कुंडों में प्रयोग करें। इसकी बुआई के 15-20 दिनों बाद खेत से अवांछित पौधों को निकाल कर पौधे से पौधे की दूरी 20 सें.मी. सुनिश्चित् कर उसके बाद सिंचाई करें।

सूरजमुखी की अन्तर्वतीं खेती

सूरजमुखी व उड़द की अन्तर्वतीं खेती के लिए सुरजमुखी को दो पंक्तियों के बीच उड़द की दो से तीन पंक्तियां लेना उत्तम रहता है।

कीट नियंत्रण

  • सूरजमुखी की फसल में यदि कठुवा सूंडी या हरे रंग की सूंडी का आक्रमण हो, तो 50 मि.ली. सायपरमेथ्रिन 25 ई.सी. या 150 मि.ली. डैकामेथ्रिन 2.8 ई.सी. या 80 मि.ली. फैनवालरेट 20 ई.सी. को 100 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • माहूं कीट के शिशु एवं प्रौढ़ सूरजमुखी के पौधों के कोमल तनों, पत्तियों, फूलों एवं नई फलियों से रसचूस कर उसे कमजोर एवं क्षतिग्रस्त तो करते ही हैं। इसके अलावा रसचूसते समय पत्तियों पर उत्सर्जित शहद सदृश पदार्थ छोड़कर, कवक वृद्धि के लिए अनुकूल परिस्थतियां उत्पन्न करते हैं। यह पदार्थ पौधे को कमजोर कर गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं।

  • भोज्य पदार्थ बनाने की प्रक्रिया में अवरोध करता है तथा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित हो जाती है। इस कीट की रोकथाम के लिए क्लोरोपायरीफॉस (25 ई.सी.) 1.0 लीटर या मिथाइल ओडेमेटान (25 ई.सी.) 1.0 लीटर प्रति हैक्टर की दर से 600 से 800 लीटर पानी में अच्छी तरह मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।