गेहूँ की कटाई करने के बाद किसान करें ग्रीष्मकालीन गन्ने की बुवाई      Publish Date : 09/05/2025

गेहूँ की कटाई करने के बाद किसान करें ग्रीष्म-कालीन गन्ने की बुवाई

                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

  • सीओएच-119 एवं सीओ-05011 किस्म का करें चुनाव।
  • किसान 30 से 35 क्विंटल गन्ने के बीज की प्रति एकड़ से बुवाई कर अर्जित कर सकते हैं उत्तम आय।
  • अपने आस-पास स्थित शुगर मिल से खरीद सकते हैं गन्ने का बीज।

गन्ने की ग्रीष्मकालीन बुवाई के लिए वर्तमान समय एकदम उचित है। अतः किसान गेहूँ की फसल की कटाई करने के एकदम बाद गन्ने की पछेती बुवाई कर सकते हैं। गन्ने की अगेती और मध्यकालीन किस्मों की बुवाई करने का सामान्य समय 31 मार्च तक समाप्त हो जाता है। इस समय किसान यीओएच-119 और सीओ-05011 को अप्रैल के महीने अथवा गेहूँ की कटाई करने के बाद इन किस्मों की बुवाई कर सकते हैं। गन्ने के बीज के लिए किसान अपने क्षेत्र के शुगर मिल से सम्पर्क कर सकते हैं।

कृषि विकास अधिकारी ने बताया कि किसान गन्ना प्रजनन संस्थान, करनाल, क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान, और टिश्यू कल्चर से उत्पादित गन्ने का बीज कृषि विश्वविद्यालय से प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि इसके सम्बन्धित जिले के कृषि अधिकारियों के साथ भी सम्पर्क किया जा सकता है।

गन्ने की बुवाई करने के बाद खाद अवश्य डालें

                                            

किसान यदि गेहूँ की फसल की कटाई के बाद गन्ने की बुवाई करते हैं तो 30 कि.ग्रा. नाईट्रोजन यानी 65 कि.ग्रा. यूरिया, 20 कि.ग्रा. फॉस्फोरस अर्थात 125 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फॉस्फेट, 20 कि.ग्रा. पोटाश अर्थात 35 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति एकड़ की दर से गन्ने की बुवाई करते समय डालना चाहिए। यदि आपकी भूमि बलुई दोमट है तो 10 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट प्रति एकड़ की दर से बुवाई के समय ही प्रयोग करना उचित है। गन्ने की बुवाई करने से पूर्व न्ने के बीज को मैंकोजेब अथवा कार्बेन्डाजिम के 0.25 प्रतिशत 5 मिनट तक डुबोकर बीजोपचार करना भी आवश्यक है।

बीज का चयन तथा गन्ने की बुवाई

                                          

बीज के लिए गन्ने के ऊपर वाले दो-तिहाई भाग का ही प्रयोग करना चाहिए। 30 से 35 क्विंटल या 35000 दो आंखों वाल या 23000 तीन आंखों वाली तिरछी कटी पोरियों की प्रति एकड़ जरूरत होती है। सदैव कीट एवं रोग रहित और बीमारी से मुक्त खेत से ही गन्ने के बीज की चयन करना चाहिए। यदि किसी बीज के पीस की आंखों और दोनों शिराओं के बीच लाली हो तो ऐसे गन्ने के टुकड़े की बुवाई नहीं करनी चाहिए। रोग से प्रभावित खेत में कम से कम तीन वर्ष तक फसल चक्र का पालन करना उचित रहता है।

सीओएच-119 किस्म है लाल सड़न रोग के लिए प्रतिरोधी

गन्ने की यह किस्म लाल सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधक होती है। गन्ना विकास केन्द्र के द्वारा विकसित और लाल सड़न की दोनों प्रजातियों (सीएफ-08 और सीएफ-09) के लिए प्रतिरोधी मध्य पछेती किस्म सीओएच-119 और सीओएच को केन्द्रीय किस्म रिलीज समिति के द्वारा भारत के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में खेती के लिए जारी किया गया था अत्5 किसान भाई इन दोनों किस्मों का उपयोग कर सकते हैं।

सीओ-05011 किस्म को भारत के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में व्यवसायिक खेती के लिए सीवीआरसी के द्वारा जारी की गई मध्यवर्गीय गन्ने की एक बेहतरीन किस्म है। गनने की यह किस्म आईसीएआर-गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्रीय केन्द्र करनाल में सीओएस-8436 ग सीओ-89003 के क्रॉस से किया गया था। देश के हरियाणा प्रदेश के लिए यह एक बेहतर किस्म है।     

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।