गन्ने की फसल में खरपतवार से होने वाले नुकसान      Publish Date : 05/05/2025

       गन्ने की फसल में खरपतवार से होने वाले नुकसान

                                                                                                प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु

1. खरपतवार फसल की अपेक्षा मिट्टी से अधिक पानी सोखते हैं, जिससे मिट्टी में नमी की तेजी से कम हो जाती है।

2. खरपतवार मिट्टी से 7 प्रतिशत से लेकर 30 प्रतिशत तक पोषक तत्व सोख लेते हैं, जिससे गन्ने की उपज प्रभावित होती है।

3. खरपतवार के पौधे गन्ने पर हमला करने वाले विभिन्न कीटों और रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं को आश्रय प्रदान करके फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।

4. खरपतवार गन्ने की उपज में 30 से 40 प्रतिशत और चीनी की रिकवरी में 0.5 से 1 प्रतिशत तक की हानि करते हैं।

5. ग्रीष्मकालीन खरपतवार गन्ने की उपज को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। ग्रीष्मकालीन खरपतवार गन्ने में टिलरिंग को प्रभावित करते हैं, जिसका सीधा और नकारात्मक प्रभाव मिल योग्य गन्ने और गन्ने की उपज पर पड़ता है।

6. खरपतवार गन्ने के अंकुरण के समय कम प्रभाव डालते हैं लेकिन टिलरिंग के समय अधिक नुकसान पहुंचाते हैं, टिलरिंग के समय गन्ने को स्वयं अधिक पानी और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, लेकिन ऐसे समय में जब तापमान अधिक होने के कारण पानी की अधिक आवश्यकता होती है, खरपतवार तेजी से बढ़ते हैं और पानी तथा पोषक तत्वों का अत्यधिक दोहन करते हैं तथा गन्ने की कल्ले निकलने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं, जिससे गन्ने की उपज में भारी गिरावट आती है।

7. बरसात के मौसम में खरपतवार गन्ने को कम नुकसान पहुंचाते हैं। यदि बसंतकालीन गन्ने को 90 दिन तथा शरदकालीन गन्ने को 120 दिन तक खरपतवार से मुक्त रखा जाए, तो गन्ने की उपज पर कोई विशेष प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।