
गन्ने की उत्तम पैदावार प्राप्त करने के लिए कुछ उपयोगी तथ्य Publish Date : 15/04/2025
गन्ने की उत्तम पैदावार प्राप्त करने के लिए कुछ उपयोगी तथ्य
पोफेसर आर. एस. सेंगर
गन्ने की अनरिलीज्ड किस्मों का प्रयोग करने से बचें-
- नई और अप्रकाशित किस्मों का उपयोग करने से बचें, जब तक कि वे पूरी तरह से परीक्षण और मूल्यांकन नहीं कर लेतीं।
अपने खेत में परीक्षण करें-
- नई किस्मों का परीक्षण अपने खेत में करें, ताकि उनकी स्थानीय परिस्थितियों में प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जा सके।
पूरी तरह से विश्लेषण करें
किस्म के प्रदर्शन का पूरा विश्लेषण करें, जिसमें शामिल हैं:-
- रोग प्रतिरोधक क्षमता
- उत्पादन क्षमता
- रेटूनिंग क्षमता
- चीनी की रिकवरी
मूल्यांकन मानदंड
किस्म का मूल्यांकन निम्नलिखित मानदंडों के आधार पर करें:-
- मध्यम रोग प्रतिरोधक क्षमता
- उच्च उत्पादन
- अच्छी रेटूनिंग क्षमता
- उच्च चीनी रिकवरी
प्रसार और वितरण
यदि किस्म मूल्यांकन उपरोक्त मानदंडों को पूरा करती है, तो इसे अन्य किसानों को प्रसारित और वितरण के बारे में सोचा या बढ़ाया जा सकता है।
गन्ने की किस्म CoP 9301
गन्ने की किस्म CoP 9301 एक पुरानी और निचले क्षेत्र में उभरती हुई किस्म है, गन्ने की इस किस्म ने बिहार में वाटर लॉगिंग कंडीशन में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।
प्रदर्शन क्षेत्र
इस किस्म ने चंपारण के विभिन्न क्षेत्रों में विशेषकर जलभराव की स्थिति में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, जिनमें शामिल हैं:-
- पूर्वी चंपारण
- पश्चिमी चंपारण
- बिहार से लगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के सीमांत क्षेत्र
विशेषताएं
इस किस्म की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार से हैं:-
- किस्म का वाटर लॉगिंग कंडीशन में अच्छा प्रदर्शन रहा है।
- मध्यम उत्पादन क्षमता।
- अच्छी रेटूनिंग क्षमता।
संभावनाएं
इस किस्म की संभावनाएं हैं:-
- बिहार के विभिन्न केवल निचले क्षेत्रों में गन्ने की खेती को बढ़ावा देना।
- किसानों को इसकी जानकारी प्रदान करना की इसे अधिक अमोनिकल नत्रजन (अमोनियम सल्फेट) उर्वरक एवं सल्फर की आवश्यकता है का प्रशिक्षण देना।
- व्हाइट फ्लाई का प्रकोप विशेषकर इस प्रभेद CoP 9301 में जुलाई/ अगस्त माह में अपेक्षाकृत अधिक देखा गया है।
व्हाइट फ्लाई से बचाव हेतु स्प्रे के लिए सिफारिशें
- व्हाइट फ्लाई के वयस्क और निम्फ की संख्या के आधार पर स्प्रे का समय तय करें।
- पेस्टिसाइड की मात्रा और स्प्रे की तकनीक का ध्यान रखें।
- सुरक्षा उपायों का पालन करें।
- स्प्रे के बाद फसल की निगरानी करें और आवश्यकतानुसार पुनः स्प्रे करें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।