गन्ने की बुवाई नर्सरी पद्वति से करने के लाभ      Publish Date : 08/04/2025

         गन्ने की बुवाई नर्सरी पद्वति से करने के लाभ

                                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य

                           

1. इस विधि से गन्ने की बुवाई करने पर बीज मात्रा अत्याधिक अर्थात 30 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से लगती है।

2. बीज के 30 क्विंटल गन्ने का परिवहन एवं ढुलाई में मजदूरी भी अधिक लगती है।

3. 30 क्विंटल गन्ने के बीज की कटाई और सफाई आदि में अधिक मजदूरी लगती है।

4. अधिक बीज के बीजोपचार में व्यय भी अधिक ही होता है।

5. अधिक बीज को खेत में लगाने की मजदूरी भी अधिक ही देनी पड़ती है।

6. इस विधि से बुवाई करने के 1 से 1.5 माह के बाद गन्ने के सही तरीके से अंकुरित नहीं होने का पता चलता है।

7. इस विधि में बीज के अंकुरण में भी अनिश्चितता रहती है।

8. पौधों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी (फुटाव) होने से खाद का उपयोग अधिक मात्रा में करने से लागत में बढ़ोत्तरी होती है।

पौध नर्सरी से बुवाई

                                                  

1. इस विधि से गन्ने की बुवाई करने पर मात्र 4,800 से 5,000 पौधे प्रति एकड अथवा 2.5 कुंल बीज की आवश्यकता होती है।

2. इस विधि में पौधों का परिवहन अति सरल तरीके से किया जाता है।

3. 2.5 कुंतल गन्ने की कटाई एवं सफाई आदि करने में व्यय कम आता है।

4. 2.5 कुंत गन्ने के बीजोपचार का खर्च मात्र 10 रूपये आता है।

5. केवल दस मजदूरों के द्वारा ही एक एकड़ क्षेत्र में पौध रोपाई की जा सकती है।

6. इस विधि के अंतर्गत ट्रे में अंकुरित बीज को ही लगया जाता है जिससे अंकरण की समस्या ही नही रहती है।

7. 100 प्रतिशत अंकुरित पौधों को ही लगाए जाने के कारण खेत का खाली रह जाना प्रायः असम्भव ही होता है।

                                            

8. खाद का उपयोग सीमित रहता है, क्योंकि जहां पौधा होता है खाद भी वहीं दिया जाता है।

9. नए बीज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से परिवहन किया जा सकता है।

10. एक आंख पद्वति के चलते प्रति पौधा फुटाव की संख्या अधिक प्राप्त होती है।

11. ट्रे में नर्सरी होने के कारण गन्ने अंकुरित पौधों की उम्र 1.5 माह से अधिक होती है।

12. पौधों की आयु अधिक होने के कारण गन्ना स्वस्थ, लम्बा और मोटा हाता है।

भारत में गन्ने की फसल को ण्क नकदी फसल का दर्जा प्राप्त है। इस पुरातन फसल को समस्त प्रकार की नैसर्गिक आपदाओं को सहने करने की क्षमता प्राप्त होने के कारण किसानों के लिय मां अन्नपूर्णा का वरदान माना जाता है। अतः इस फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

                                                

गन्ने की बुवाई अनेक विधियां प्रचलन में हैं, जैसे गन्ने के टुकड़ों को सीधे नाली में दबाकर, गन्ने की दो और तीन आंखों वाली कांछी काटकर, दोहरी पंक्ति में बुवाई बरना, गन्ने की एक से डेढ़ माह की पौध को तैयार आदि विभिन्न तरीको से गन्ने की बुवाई की जाती है।

गन्ने की परम्परागत बुवाई में आने वाला खर्च (रूपये)

पौध द्वारा बुवाई में आने वाला खर्च (रूपये)

कार्य

मात्रा

दर

कुल

कार्य

मात्रा

दर

कुल

प्रति एकड बीज मात्रा

30 कुंतल

400

12,000

नर्सरी की पौध

5,000

3.00

15,000

कटाई-ढुलाई की मजदूरी

30 कुंतल

50

1,500

बुवाई की मजदूरी

12 मजदूर

400

4,800

खेत बुवाई की मजदूरी

30 मजदूर

400

12,000

बीजोपचार

 

 

 

बीजोपचार

 

 

500

फसल डोज

 

 

 

4,000

फसल डोज

पोटाश + यूरिया + डी.ए.पी

 

 

4,000

खाद प्रति पौधा 20 ग्राम

 

 

 

कुल-                 30,000

कुल-                23,800

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।