जूट की खेती      Publish Date : 12/03/2025

                            जूट की खेती

                                                                                                              प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य

जूट की खेती के लिए उपयुक्त समय और बीज उपचार

                                                                

देश में जूट की खेती मुख्य रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, ओडिसा और उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्रों में की जाती है। जूट के रेशे से दरी, बोरे, तिरपाल, रस्सी, कपड़े और कागज आदि बनाए जाते हैं। हलांकि, जूट की खेती हरी खाद के लिए भी की जाती है। अगर आप भी करना चाहते हैं जूट की खेती तो उपयुक्त जलवायु और बीज उपचार की विधि की जानकारी होना आपके लिए बहुत आवश्यक है।

जूट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

                                                          

  • जूट की खेती के लिए नमी युक्त जलवायु आवश्यकता होती है।
  • 24 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान जूट के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
  • नीची भूमि वाले क्षेत्रों में फरवरी महीने में बुवाई की जाती है।
  • वहीं ऊंची भूमि वाले क्षेत्रों में मार्च से जुलाई महीने तक बुवाई कर सकते हैं।

बीज उपचार

  • बुवाई से पहले स्वस्थ बीज का चयन करना चाहिए।
  • सबसे पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 से 3 ग्राम थिरम या कार्बेन्डाजिम से उपचारित। इससे कई तरह के रोगों से पौधों का बचाव हो सकता है।
  • इसके 5 से 6 घंटे बाद बीज को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें।
  • प्रति 1 पैकेट राइजोबियम कल्चर से 10 किलोग्राम बीज को उपचारित किया जा सकता है।

राइजोबियम कल्चर से बीज उपचार की विधि

  • राइजोबियम कल्चर से बीज को उपचारित करने के लिए सबसे पहले 500 मिलीलीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ मिला कर हल्का उबालें।
  • अब पानी और गुड़ के घोल को पूरी तरह ठंडा होने दें।
  • इस घोल में 200 से 250 ग्राम राइजोबियम कल्चर मिलाएं।
  • इस मिश्रण को 10 किलोग्राम बीज पर समान रूप से छिड़कें और अच्छी तहर मिला कर बीज के ऊपर हल्की परत बना लें।
  • बीज को छांव में 2 से 3 घंटे तक सूखा कर बुवाई करें।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।