फरवरी में करें गन्ने की बुआई, गन्ने की इन 2 नई किस्म में नहीं लगता लाल सड़न रोग      Publish Date : 31/01/2025

   फरवरी में करें गन्ने की बुआई, गन्ने की इन 2 नई किस्म में नहीं लगता लाल सड़न रोग

                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

गन्ने की वह दो नई किस्में कौन सी हैं जिनमें नहीं लगता है लाल सड़न रोग।

गन्ने की बसंतकालीन बुवाई करने के लिए सबसे अच्छा समय मध्य फरवरी से मार्च के अंत तक का होता है। ऐसे में गन्ना प्रजनन संस्थान करनाल के क्षेत्रीय प्रभारी एम. एल. छाबड़ा ने बताया कि संस्थान में इस बार गन्ने की इन दो नई किस्मों का बीज भी मिलेगा। को- 17018 और को- 16030 दोनों नई किस्मों का बीज भी किसान ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि किसान हर तीन साल में गन्ने की किस्में बदलते रहें। एक की किस्म लगाने से कीड़ों सहित अन्य बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ जाता है।

                                                                        

स्वस्थ गन्ना बीज के लिए पौधा फसल 8 से 10 माह पुरानी होनी चाहिए। गन्ने का ऊपरी दो तिहाई हिस्सा बीज में प्रयोग करें।

बीज उपचार के लिए कार्बेन्डाज़िम या थायोफिनेट मिथाइल का घोल में गन्ने का उपचार करें। गन्ने के ऊपर के दो-तिहाई स्वस्थ, कीट व रोग रहित हिस्से को बिजाई के लिए प्रयोग कर सकते हैं।

ये किस्में देती हैं अच्छी पैदावार

किसान रोग रोधी 0118, को- 15023, को -17018, को-16030 और को-5011 की बुआई कर सकते हैं।

इन सभी किस्मों का बीज गन्ना प्रजन्न केंद्र करनाल के क्षेत्रीय संस्थान से ले सकते हैं। अंतिम जुताई के समय चार प्रति एकड़ चार किलोग्राम ट्राइकोडर्मा मिला दें। प्रति एकड़ 30 क्विंटल बीज का प्रयोग करें।

फसल गिरने की समस्या नहीं आती

गन्ने की इस नई किस्म में लाल सड़न रोग नहीं लगता है। यह किस्म लवणता के प्रति भी सहनशील है। यह प्ररोह छेदक, डंठल छेदक और शीर्ष छेदक के प्रति कम संवेदनशील है।

इसमें ठोस गन्ने हैं जो खेत में गिरने की समस्या को रोकते हैं, इसका उत्पादन भी अच्छा रहता है। इसके अलावा को- 16030, जिसे करण-16 के नाम से भी जाना जाता है।

इस किस्म को भी गन्ना प्रजनन संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है। यह एक क्रॉस किस्म है, जिसमें गन्ने की अच्छी व्यावसायिक उपज के साथ-साथ गन्ने की पैदावार भी अच्छी होती है और इसकी चीनी की रिकवरी भी बहुत अच्छी है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।