
बढते हुए तापमान से गेहूं की फसल के बचाव एवं अच्छी पैदावार कैसे प्राप्त करें Publish Date : 31/01/2025
बढते हुए तापमान से गेहूं की फसल के बचाव एवं अच्छी पैदावार कैसे प्राप्त करें
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
गेहूं की खेती में इस समय कौन-कौन से उपाय करना होंगे, जिनसे अच्छी पैदावार होगी। कृषि वैज्ञानिकों ने इसके लिए एडवाइजरी जारी की है।
भारतीय किसानों ने चालू रबी सीजन के दौरान गेहूं की खेती में अच्छी दिलचस्पी दिखाई है, जिससे इसका उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 320 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुका है। यह पिछले साल के बिजाई क्षेत्र व पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल से अधिक है। देश के प्रमुख उत्पादक राज्यों में अभी तक मौसम की हालत फसल के लिए काफी हद तक संतोषजनक है। यदि फरवरी-मार्च में स्थिति अनुकूल रही तो गेहूँ का शानदार उत्पादन हो सकता है। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने इस बार 1,150 लाख टन गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
जानकारों के अनुसार 2023-24 सीजन के दौरान देश में 10-10.50 करोड़ टन के बीच गेहूं का उत्पादन हुआ था, जो 2024-25 के वर्तमान सीजन में बढ़कर 11 करोड़ टन के करीब पहुंच सकता है। हालांकि, इस बीच कृषि वैज्ञानिक यह भी अनुमान व्यक्त कर रहे हैं कि धीरे-धीरे तापमान में बढ़ोतरी होने से गेहूं की फसल में उत्पदान को हल्का नुकसान भी हो सकता है, इसलिए वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए सलाह जारी की है कि कुछ सामान्य उपाय करके किसान गेहूं की फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं, तो आईए जानते हैं अपने कृषि एक्पर्ट से इन उपायों के बारे में विस्तार से
गेहूं की पैदावार लिए कृषि वैज्ञानिकों ने यह दी सलाह
वर्तमान में धीरे-धीरे दिन के तापमान में बढ़ोतरी होने लगी है। फरवरी माह के प्रथम सप्ताह के जैसे तेज गर्मी के आसार बताए जा रहे हैं। इस दौरान गेहूं की खेती से अच्छी पैदावार के लिए किसानों को कौन-कौन से उपाय करना होंगे। इसके लिए सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मोदीपुरम, मेरठ के कृषि वैज्ञानिक ने किसानों के लिए यह सलाह दी हैः-
1. दिन का तापमान 30 से 32 डिग्री सेल्सियस व रात का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है, तब तक किसानों को घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। रात व दिन का तापमान मिलाकर औसत 22 डिग्री सेल्सियस गेहूं की पैदावार के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
औसत तापमान 24 डिग्री सेल्सियस तक भी गेहूँ की फसल सहन कर सकती है, परन्तु दिन का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होने पर गेहूं की बालियों में बनने वाले दानों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
2. बढ़े हुए उच्च तापमान से गेहूँ की फसल को बचाने के लिए किसानों को आवश्यकता के अनुसार हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है। जब तेज हवा चल रही हो तो सिंचाई बन्द दें अन्यथा फसल के गिरने से नुकसान हो सकता है।
3. जिन किसान भाइयों के पास फव्वारा सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, वह दोपहर के समय तापमान वृद्धि के समय आधा घंटा फव्वारे से फसल की सिंचाई कर सकते हैं।
4. गेहूं में बालियां निकलते समय या अगेती गेहूं की बालियां निकली हुई हैं तो भी 0.2 प्रतिशत पोटाशियम क्लोराइड यानी कि 400 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (पोटाश खाद) 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करने से तापमान में अचानक हुई वृद्धि से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। पछेती बिजी हुई गेहूं में पोटाशियम क्लोराइड का छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर दो बार किया जा सकता है।
गेहूं की फसल में फंगीसाइड का स्प्रे कब करें
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि गेंहू की फसल में फंगीसाइड का स्प्रे फसल के 60 से 80 दिन, झंडा पत्ता (प्लेग लीफ़) निकलते समय करना चाहिए, क्योंकि झंडा पत्ता से पौधा का लगभग 70 प्रतिशत तक भोजन बनाता है।
फंगीसाइड के रूप में किसान भाई सिजेंटा कंपनी का इंपैक्ट एक्स्ट्रा, कोरटेवा कंपनी का गैलीलियो वे कंपनी का प्रायक्सर का उपयोग कर सकते हैं। इसी के साथ गेहूं की फसल में यदि इस समय दिल्ली का प्रकोप दिखाई दे तो एमाबेक्टिन बेंजोएट का स्प्रे करें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।