
सरसों की फसल में फंगस की समस्या का हल Publish Date : 24/01/2025
सरसों की फसल में फंगस की समस्या का हल
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
आज की अपनी इस ब्लॉग पोस्ट में हम सरसों की खेती से सम्बन्धित कुछ आवश्यक विषयों पर बात करेंगे। सरसों की खेती के दौरान विभिन्न प्रकार की समस्याएं आती हैं और किसान भाईयों के लिए कई बार समस्याएं एक बड़ी चिंता का कारण भी बन जाती हैं। लेकिन यदि किसान समुचित जाकारी और उपयों को को अपनाकर सरसों की खेती की जाए तो इसकी खेती के दौरान आने वाली समस्याओं को वह काफी हद तक कम कर सकते हैं।
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि सरसों की फसल विभिन्न प्रकार के रोगों एवं कीटों से प्रभावित होती है अतः सरसों की फसल पर विशेष ध्यान देना बहुत आवश्रूयक है। यदि सरसों की इन समस्याओं पर समय रहते ध्यान नही दिया जाए तो सरसों की उपज में भारी कमी आ सकती है।
आज की अपनी इस पोस्ट में हम सरसों की फसल में लगने वाली फंगस के बारे में जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। फंगस के माध्यम से होने समस्याएं, पौधों में दानों की संख्या को बढ़ाने और तेल की मात्रा में वृद्वि करने के उपायों की जानकारी प्रदान की जाएगी।
फंगस के चलते सरसों में होने वाली समस्याएं
फंगस, सरसों क फसल की एक प्रमुख समस्या है, विशेष रूप से इसके फूलों के अंदर घंडु नमक फंगस का संक्रमण होता है, जो कि सरसों की फसल के लिए काफी हानिकारक हो सकता है। फंगस के माध्यम से होने वाली यह समस्या सरसों के पौधों फूलों की संख्या और उनके आकार को प्रभावित करती है। इसके साथ ही यह फंगस सरसों के दानों की क्वालिटी को भी कम कर सकती है। अतः किसानों से अपील है कि उन्हें अपने सरसों के खेतों में नियमित रूप से फंगर रोधी दवाओं का प्रयोग करते रहना चाहिए। बाजार में कई प्रकार के फंगीसाइड्स उपलब्ध होते हैं जो आपको फंगस की समस्या से पिटने में सहायता करते हैं।
इसके अतिरिक्त खेत की स्वच्छता पर ध्यान देना भी अपने आप में काफी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि गंदगी और नमी फंगस के प्रसार को वृद्वि प्रदान करते हैं। इसके साथ ही यदि आपको अपने खेत में फगस जनित रोगों के लक्षण दिखाई दे तो 400 से 500 ग्राम मैनेजेब (एम-45) को 200 से 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से 15 दिन के अंतर पर कम से कम दो छिड़काव करने चाहिए।
यदि आपको अपनी सरसों की फसल में झुलसा या काला ध्ब्बा रोग के लक्षण दिखाई दें, तो मैन्कोजब (2.5 प्रतिशत) या आइप्रोडयॉन (रोवरोल) 0.25 प्रतिशत के घेल का छिड़काव, बुवाई करने के 45 और 75 दिनों के बाद दो बार करना चाहिए। फसल में छाछ्या रोग के लक्षण दिखाई देने पर घुलनशील गंधक, 2 किलोग्राम मात्रा या कार्बेन्डाजिम नामक दवा 1/2 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से घोलबनाकर इसका छिड़काव करना चाहिए। इसके अतिरिक्त मृदा में मौजूद कवक जनकों को नष्ट करने के लिए 2 से 5 साल के फसल चक्र का पालन करना उचित रहता है।
सरसों में दानों की संख्या को बढ़ाने का उपाय
सरसों की फसल में दानों की संख्या और उनके आकार का सम्बन्ध सीधेतौर पर इसकी पैदावार से जुड़ा होता है। ऐसे में किसानों का सबसे पहला और बड़ा सवाल यही होता है कि सरसों की फसल में दानों की संख्या को किस प्रकार से बढ़ाया जाए। दानों की संख्या के सम्बन्ध में किसानों को पौधों की टिलरिंग अर्थत पौधों की शाखाओं का फैलाव, पर ध्यान देना चाहिए। जब सरसों के पौधें अच्छी प्रकार से फैलते हैं तो उनमें फलों और दानों की संख्या अपने आप ही बढ़ जाती है। इस काम के लिए सरसों के पौधों की उचित देखभाल और पोषण पर ध्यान देना आवश्यक होता है और पौधों को उपयुक्त मात्रा में खाद और पानी देने की आवश्यकता होती है।
सरसों में फूल और दाने बनने के समय, बोरेक्स 1.0 प्रतिशत और यूरिया 1.0 प्रतिशत एक साथ मिलाकर इसका छिड़काव करें। पहली सिंचाई के समय 100 लीटर पान में 2 कि.ग्रा. यूरिया और आधा कि.ग्रा. जिंक का घोल बनाकर सरसों पर छिड़काव करना चाहिए। इसके साथ ही सरसों की पतली लकड़ी से मुख्य तने की ऊपर से तुड़ाई कर दें, इससे शाखाओं में बढ़ोत्तरी होती है और उपज में भी 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी होती है।
तेल की मात्रा को बढ़ाने के उपाय
सरसों की फसल में तेल की मात्रा अहम होती है, क्योंकि सरसों की फसल का यह मुख्य उत्पाद होता है। तेल की मात्रा को बढ़ाने में मुख्य रोल सल्फर उर्वरक का होता है। अतः सल्फर सरसों में पोटाश, सल्फर और मैग्नीशियम का उचित संतुलन में प्रयोग करना चाहिए।
फोलियर स्प्रे
सरसों पर फोलियर स्प्रे करना एक प्रभावी तरीका है जिसके माध्यम से पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति सीधे ही पत्तियों के माध्यम से की जा सकती है। फसल के 35 से 45 दिन की हो जाने के बाद इसका स्प्रे करना लाभकारी रहता है। सरासों के खेत में फोलियर स्प्रे करने के लिए कात्यायनी MAL–50 (मैलाथियान 50% EC) का उपयोग किया जा सकता है।
मधुमक्खी पालन से लाभ
सरसों के खेत के पास मधुमक्खी रखने से फूलों का परागण सही तरीके से होता है। मधुमक्खियां फूलों से पराग ग्रहण करते हुए फसल की गुणवत्ता को बेहतर बनाती हैं, दानों की संख्या बढ़ती और फसल की कुल पैदावार बढ़ती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।