सरसों की फसल में कीट एवं रोग प्रबंधन कैसे      Publish Date : 14/01/2025

सरसों की फसल में कीट एवं रोग प्रबंधन कैसे

प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

सरसों, भारत की एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है, जिसका उत्पादन मुख्य रूप से तेल निकालने के लिए ही किया जाता है। सरसों का वैज्ञानिक नाम ‘ब्रैसिका‘ है।

सरसों की खेती विशेष रूप से भारत, पाकिस्तान, चीन, और कनाडा आदि देशों में बड़े पैमाने पर की जाती है। भारत में सरसों की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में की जाती है। सरसों की खेती रबी के मौसम (सर्दियों) में की जाती है। इसे अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी में उगाया जाता है। इसकी बुवाई अक्टूबर-नवंबर में की जाती है जबकि फसल की कटाई मार्च-अप्रैल में की जाती है।

सरसों की फसल के लिए 20-25 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे उपयुक्त तापमान माना जाता है। सरसों की फसल भारतीय कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है, लेकिन इस फसल में कई प्रकार के कीट और रोग नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन कीटों का समय पर प्रबंधन न किया जाए तो फसल को भारी नुकसान भी हो सकता है। आज के हमारे इस लेख में सरसों के कुछ प्रमुख कीट और उनके नियंत्रण के उपाय बताए जा रहे हैं:-

सफेद मखमली कीट

यह छोटे हरे रंग के कीट होते हैं जो समूह में पत्तियों पर दिखाई देते हैं। यह कीट पत्तियों का रस चूसते हैं जिससे पत्तियां मुरझा जाती हैं और पौधा कमजोर हो जाता है।

नियंत्रण के उपाय

  • नीम के तेल का छिड़काव खड़ी फसल पर करें।
  • फसल की शुरुआती अवस्था में इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें।
  • सफेद मखमली कीट के प्राकृतिक शत्रुओं जैसे लेडीबर्ड बीटल आदि का उपयोग करें।

तना भेदक कीट

यह कीट तने के भीतर घुसकर उसे खाते हैं जिससे पौधे का तना कमजोर हो जाता है और वह आसानी से टूट जाता है।

नियंत्रण के उपाय

  • फसल के आसपास की जगह को साफ रखें।
  • उचित फसल चक्र अपनाएं।
  • कीट की शुरुआती अवस्था में क्यूनालफोस 25 ईसी का छिड़काव करें।

यह कीट पीली और काली धारी वाले कीट होते हैं जो सरसों पत्तियों और तनों को नुकसान पहुंचाते हैं।

  • फसल की कटाई के बाद खेत की अच्छी तरह जुताई करें जिससे कि इन कीटों के अंडे नष्ट हो जाएं।
  • इस कीट का जैविक नियंत्रण करने के लिए ट्राइकोग्रामा कल्चर का उपयोग करें।
  • क्लोरोपायरीफोस 20 ईसी का छिड़काव करें।

रस चूसक कीटः

यह कीट हरे रंग का होता हैं और पत्तियों का रस चूसते हैं जिससे पत्तियां पीली पड़ जाती हैं।

नियंत्रण के उपायः

  • फसल की निगरानी नियमित रूप से करें।
  • नीम आधारित उत्पादों का फसल पर छिड़काव करें।
  • प्रारंभिक अवस्था में इमिडाक्लोप्रिड का उपयोग करें।

सरसों का जड़ बेधक

यह कीट पौधे की जड़ों पर हमला करते हैं जिससे पूरा पौधा सूख जाता है।

नियंत्रण के उापयः

  • खेत की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  • रासायनिक नियंत्रण के लिए फिप्रोनील का उपयोग करें।
  • जैविक कीटनाशकों का उपयोग अधिक से अधिक करें।
  • उचित फसल चक्र अपनाएं और विभिन्न फसलों का रोपण करें।
  • कीटों के प्राकृतिक शत्रुओं को संरक्षण को बढ़ावा दें।

पत्ती सुरंगक कीटः

यह कीट पत्तियों में सुरंग बनाकर सरसों की पत्तियों नुकसान पहुंचाता है, जिससे पत्तियों में सफेद लाइनें दिखाई देने लगती हैं।

नियंत्रण के उपायः

  • प्रभावित पत्तियों को हटाकर तुरंत ही नष्ट कर देनी चाहिए।
  • कीट के रासायनिक नियंत्रण हेतु बुवेरिया बेसियाना या मेटारिजियम एनिसोप्ले का छिड़काव करना चाहिए। पत्तियों, तनों, और फलों पर काले धब्बे दिखाई देते हैं।
  • मैनकोजेब (2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करना चाहिए।

सरसों के रोगः

रोग के लक्षणः पत्तियों के नीचे सफेद फफूंद की परत बनती है और पत्तियां पीली होकर गिर जाती हैं।

रोग नियंत्रणः

  • मेनकोजेब या कार्बेंडाजिम का छिड़काव करना उचित रहता है।
  • रोगरोधी किस्मों का चयन करें। तनों में सड़न उत्पन्न होती है और पौधे गिर जाते हैं।
  • अच्छी जल निकासी वाली भूमि में खेती करें।
  • बुवाई से पहले बीजों का उपचार करें।
  • सरसों की फसल को लगातार एक ही खेत में न उगाएं। उचित फसल चक्र अपनाकर मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखें।
  • खेत में खरपतवारों और फसल अवशेषों को हटाकर साफ-सफाई रखें।
  • उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें ताकि पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती रहे।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।