’गन्ने की खेती (Farming of Sugarcane)” Publish Date : 13/01/2025
’गन्ने की खेती (Farming of Sugarcane)”
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु
गन्ना भारत की प्रमुख नकदी फसलों में से एक है। इसका उपयोग चीनी, गुड़, सिरका, जैव ईंधन और अन्य उत्पाद के निर्माण में किया जाता है। भारत, गन्ने की खेती और चीनी के उत्पादन में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल है। गन्ने की खेती मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है।
’गन्ने की खेती के लिए आवश्यकताएँ’
1. ’जलवायु’
- गन्ने की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु आवश्यक है।
- गन्ने को उगाने के लिए 20-35°C तापमान उपयुक्त रहता है।
- गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए 75-150 सेमी वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
2. ’भूमि और मिट्टी’
- गन्ने की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अधिक उपयुक्त होती है।
- बलुई दोमट और काली मिट्टी में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है।
- गन्ने की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5-7.5 के बीच होना चाहिए।
- गन्ने की खेती में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होना बहुत आवश्यक है।
3. ’गन्ने की किस्में’
गन्ने की किस्में मुख्य रूप से उनकी परिपक्वता अवधि के आधार पर तीन प्रकार की होती हैः-
1.‘‘शरदकालीन (Early Varieties):- यह किस्में 10-12 महीने में तैयार होती हैं। जैसे को-238, 13235, 14201, 15023, 18231, 16202, 0118 और 17231 आदि।
2. मध्यकालीन (Mid-Season Varieties):- गन्ने की यह किस्में 12-14 महीने में तैयार होती हैं। जैसे 16233, 14204, 16030 और 17018 आदि।
गन्ने की खेती की प्रक्रिया
1. ’भूमि की तैयारी’
- खेत की 2-3 बार जुताई करके खेत की मिट्टी को भुरभुरी और समतल बनाएं।
- मिट्टी में जैविक खाद या गोबर की खाद डालें।
- खेत की जल निकासी व्यवस्था का उचित प्रबन्धन करें।
2. ’बीज का चयन और बुवाई’
- गन्ने के स्वस्थ और 8-10 महीने पुराने टुकड़ों का उपयोग करें।
- प्रत्येक टुकड़े में 2-3 आंखें (नोड्स) होनी चाहिए।
- बुवाई के लिए 90-120 सेमी दूरी पर क्यारियाँ बनाएं।
- गन्ने के टुकड़ों को 5-7 सेमी गहराई में मिट्टी में दबाएं।
3. ’सिंचाई’
- पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें।
- गर्मियों में 7-10 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में 15-20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
- जलभराव से बचें, क्योंकि इससे फसल को नुकसान हो सकता है।
4. ’खाद और उर्वरक’
- बुवाई के समय प्रति एकड़ 10-12 टन गोबर की खाद का उपयोग करें।
- नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश का संतुलित उपयोग करें।
- नाइट्रोजनः 120-150 किग्रा/हेक्टेयर।
- फॉस्फोरसः 60-80 किग्रा/हेक्टेयर।
- पोटाशः 60-80 किग्रा/हेक्टेयर।
5. ’निराई-गुड़ाई और पौधों की देखभाल’
- खरपतवार नियंत्रण के लिए 2-3 बार निराई करें।
- फसल की जड़ों को मजबूती देने के लिए गुड़ाई करें।
- फसल को रोगों और कीटों से बचाने के लिए समय पर कीटनाशकों का उपयोग करें।
’मुख्य रोग और कीट प्रबंधन’
1. ’लाल सड़न रोग (Red Rot)
- संक्रमित पौधों को हटा दें।
- रोगरोधी किस्मों का उपयोग करें।
2. ’शीथ ब्लाइट (Sheath Blight)
- फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करें।
3. ’गन्ना बोरर (Sugarcane Borer)
- जैविक कीटनाशकों या फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें।
4. ’माइट और एफिड’:
- नीम के तेल का छिड़काव करें।
’कटाई और उत्पादन’
- गन्ना फसल बुवाई के 10-18 महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
- फसल की कटाई सुबह या शाम के समय करें।
- फसल की कटाई के बाद शीघ्र ही उसे चीनी मिल में भेजें, क्योंकि कटाई के बाद गन्ने की मिठास कम होने लगती है।
- अच्छी देखभाल और उचित प्रबंधन से प्रति हेक्टेयर 80-100 टन गन्ने का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
’गन्ने की खेती से लाभ’
1. गन्ना एक नकदी फसल है और इसका बाजार मूल्य अच्छा होता है।
2. गन्ना चीनी, गुड़ और जैव ईंधन जैसे उत्पादों के लिए कच्चा माल प्रदान करता है।
3. गन्ने की खोई (Bagasse) का उपयोग कागज उद्योग और बिजली उत्पादन में किया जाता है।
’सुझाव और टिप्स’
1. गन्ने की खेती के लिए उन्नत और रोगरोधी किस्मों का चयन करें।
2. सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन का विशेष ध्यान रखें।
3. बाजार की मांग के अनुसार गन्ने की किस्म चुनें।
4. फसल की बुआई और कटाई का समय सही रखें।
5. जैविक खेती को प्राथमिकता दें, ताकि लागत कम हो और मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।