गेहूं की बालियों को लम्बी और मोटी करने का उपाय      Publish Date : 05/01/2025

            गेहूं की बालियों को लम्बी और मोटी करने का उपाय

                                                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

गेहूं की फसल, खाद्यान्न फसलों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और जब किसी किसान को उसकी फसल से उच्चतम उत्पादन प्राप्त होता है तो यह उस किसान के लिए एक गर्व का विषय होता है। ऐसे तो प्रत्येक किसान यही सोचता है कि उसने गेहूं की फसल को शुरूआत में ही अच्छी खाद प्रदान कर दी और उचित तरीके से सिंचाई की व्यवस्था कर दी है तो अब गेहूं का उत्पादन तो अपने आप ही अच्छा होगा। हालांकि, हर बार ऐसा ही हो, तो यह बहुत मुशिकल हो पाता है।

                                                       

गेहूं की फसल का अच्छा उत्पादन केवल फसलीय पौधों की ग्रोथ पर ही निर्भर नही करता, अपितु यह इसकी बालियों की लम्बाई एवं उनकी मोटाई और इसके दानों की गुणवत्ता पर भी उतना ही निर्भर करता है। अतः गेहूं का उत्पादन बढ़ाने के लिए शुरूआती खाद और सिंचाई पर ही निर्भर नही रहना चाहिए। अच्छे उत्पादन के लिए फसल की प्रत्येक अवस्था पर उसे उचित पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यदि बात विशेष रूप से गेहूं की बालियों की लम्बाई, मोटाई औश्र उसके दानों की गुणवत्ता की बात करे तो तो गेहूं में बाली के विकास के समय यूरिया, 6 एलीमेंट न्यूट्रिएंट्स औश्र नैनो यूरिया की उचित मात्रा का उपयोग करना भी बहुत आवश्यक होता है।

आज की अपनी इस ब्लॉग रिपोर्ट में हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि किस प्रकार से सही समय पर उचित पोषक तत्व प्रदान कर हम गेहूं की फसल के उत्पादन को कई गुना तक बढ़ा सकते हैं। ऐस आवश्यक उत्पाद, जिनकी सहायता से गेहूं की बालियों के साइज को बढ़ाकर इसका उत्पादन उच्चतम किया जा सकता है। ऐसे में हमारे कृषि विशेषज्ञ इसके सम्बन्ध में विशेष जानकारी प्रदान कर रहे हैं।

खाद और सिंचाई का उचित महत्व

जिस समय किसान अपनी गेहूं की फसल की शुरूआत करते हैं तो किसान भाई अक्सर उसमें यूरिया, जिंक सल्फेट औश्र पोटाश के जैसे उर्वरकों का उपयोग करते हैं। ऐसा करना सही भी होता है, क्योंकि फसल की आरम्भिक ग्रोथ के लिए आवश्यक भी होता है, हालांकि, यह खाद केवल पौधों की ज्ढ़ और तने को मजबूती प्रदान करती हैं। यह तो हमस ब जानते ही है कि फसल की प्रारम्भिक ग्रोथ के लिए नाईट्रोजन बहुत आवश्यक तत्व है परन्तु गेहूं  की बालियों के विकास के लिए यह पर्याप्त नही है।

                                                      

वहीं पोटाश और जिंक के जैसे पापेषक तत्व गेहूं के पौधों को शुरूआती मजबूती तो प्रदान करते हैं, लेकिन इनका प्रभाव भी लम्बे समय तक नही रहता है। अतः किसान भाईयों के लिए सलाह है कि वह पहली सिंचाई के समय ही उचित मात्रा में उचित उर्वरकों का प्रयोग अवश्य ही करें, परन्तु यह भी ध्यान रखें कि गेहूं का उत्पादन बढ़ाने के लिए केवल इतना ही पर्याप्त नही होता है।

बालियों के विकास एवं उत्पादन में सम्बन्ध

किसान भाईयों आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गेहूं के पौधों की ऊंचाई और उनकी शाखाओं की संख्या से गेहूं का उत्पादन नही बढ़ता है। दरअसल गेहूं के उत्पादन में गेहूं की बालियों की लम्बाई और उनमें बनने वाले दानों की गुणवत्ता ही इसमें सबसे अधिक महत्व रखती है। अतः जिस समय आपकी गेहूं की फसल में बालिया निकलने लगती है तो गेहूं के पौधों को अधिक मात्रा में नाइट्रोजन, मैगनीज और फेरस (आयरन) की आवश्यकता होती है। इन पोषक तत्वों का उपयोग फसल में उचित मात्रा एवं उचित समय पर करने से गेहूं के पौधों में क्लोरोफिल की मात्रा बढ़ती है जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अच्छी होती है और उससे पौधों के अंदर ऊर्जा का उत्पादन अधिक होता है और यह गेहूं कीे बालियों को लम्बी, मोटी और मजबूत बनाता है।

आमतौर पर तीसरे पानी के समय अर्थात गेहूं की बुवाई के 70 से 80 दिनों के बाद गेहूं में बालियां बनना शुरू हो जाती हैं। इसी समय पौधों को अतिरिक्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जिससे कि बालियों का विकास उचित तरीके से हो सके। अतः तीसरी सिंचाई के साथ ही यूरिया (30 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से) का उपयोग करें, क्योंकि यूरिया गेहूं के पौधों की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है और अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण की दर को भी बेहतर बनाता है।

डोज एवं प्रयोग करने का तरीका

गेहूं की फसल में स्प्रे करने के लिए 6 एलीमेंट न्यूट्रीएंट की 2 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से और नैनो यूरिया 3-4 मिली. प्रति लीटर पानी की दर से दोनों को एकसाथ मिलाकर पूरे खेत में इसका स्प्रें करना चाहिए। स्प्रे करने के लिए सुबह अथवा शाम के समय का ही विशेष रूप से चयन करना चाहिए, जिससे कि पत्तियां पोषक तत्वों का सरलता एवं उनकी पूरी मात्रा का अवशोषण कर सकें।

स्पे एवं खाद का संतुलन

गेहूं की फसल की बालियों की अच्छी लम्बाई और उत्तम उत्पादन प्राप्त करने के लिए खाद और स्प्रे के उचित संतुलन का ध्यान रखना भी आवश्यक है। किसान भाई यदि सिंचाई के साथ उर्वरक का प्रयोग कर रहें हैं तो उन्हें स्प्रे की मात्रा को कम कर देना चाहिए। गेहूं की फसल में स्प्रे केवल फसल की धीमी ग्रोथ और बालियों के कमजोर होने की दशा में ही करना चाहिए।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।