गेहूं की फसल में कौन सा स्प्रे, किस समय करें Publish Date : 03/01/2025
गेहूं की फसल में कौन सा स्प्रे, किस समय करें
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु
दोस्तों, भारत जैसे एक कृषि प्रधान देश में गेहूं की फसल सबसे प्रमुख खाद्यान्न फसलों में से एक मानी जाती है। ऐसे में प्रत्येक किसान की केवल एक ही इच्छा होती है कि उसकी फसल का उत्पापदन अच्छा हो, फसल के दानों में चमक बरकरार रहे और बाजार में उसके फसल उत्पादों का उत्तम मूल्य उसे प्राप्त हो। हालांकि, यह सब इसके उपरांत ही सम्भ्ज्ञव है कि जब किसान की फसल को उचित पोषण प्राप्त हो और साथ ही फसल को रोगों से भी बचाया जाए। इसके लिए फसल की उचित तरीके से देखभाल करने के साथ ही फसल पर समय पर विभिन्न प्रकार के स्प्रे करना बहुत आवश्यक है।
ऐसे में हमारी आज की इस ब्लॉग पोस्ट में गेहूं की फसल को बेहतर बनाने के लिए कौन सा स्प्रे किस समय करना लाभकारी रहता है किसानों के लिए इसके बारे में अति महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जा रही है।
गेहूं का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए स्प्रे-
फसल में स्प्रे करते समय उचित पोषक तत्वों और दवाइयों का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह चुनाव पौधों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही करना उचित रहता है। इसमें सबसे पहले एन.पी.के. (0-52-34) का उपयोग किया जाता है, जिसका 5 लीटर पानी में घोल बनाकर इसका छिड़काव किया जाता है। इस छिड़काव से पौधों की नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटाश आदि तत्वों की पूर्ति होती है, यह तत्व पौधों की वृद्वि और दानों के उचित विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
इसके अलावा यूरिया को भी 5 ग्राम प्रति 5 लीटर पानी में घोलकर इसका छिड़काव किया जाता है। यूरिया का छिड़काव फसल को अतिरिक्त नाइट्रोजन उपलब्ध कराता है जिससे पौधों में हरियाली बढ़ती है और वह अधिक हरे-भरे दिखाई देते हैं। इसका प्रभाव दानों की चमक और उनके आकार पर भी होता है।
जिंक, कॉपर, बोरोन, आयरन, मैग्नीज और मॉलीब्डेनम जैसे माइक्रो न्यूट्रीएंट्स का छिड़काव करने से जो सूक्ष्म तत्व पौधों को मिट्टी से नही मिल पाते है, पौधें इन तत्वों का भी उपयोग कर पाते हैं।
इसके साथ ही फसल को रोगों से बचाने के लिए फंजीसाइड (टेबुकोनाजोले 25.9 प्रतिशत) का प्रयोग करना भी आवश्यक होता है। यह छिड़काव फसल को न केवल फफूद जनित रोगों से बचाता है बल्कि पौधों की ग्रोथ को भी नियमित करता है।
स्प्रे करने का उचित समय
फसल पर सही समय पर उचित स्प्रे करना ही उसकी सफलता का प्रमुख आधार होता है। इसी प्रकार से गेहूं की फसल के अंतर्गत दो समय ऐसे होते हैं जिस समय यह स्प्रे करना सबसे अधिक लाभकारी सिद्व होता है। स्प्रे करने का पहला और उचित समय पौधों के 50 से 60 दिन का होने पर जब पौधों के अंदर गांठें बनना शुरू हो जाए, क्योकि पौधों को सबसे अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता इसी समय होती है। इस समय स्प्रे करने से पौधों की जड़ें मजबूत होकर तेजी से बढ़ती हैं।
स्प्रे करने का दूसरा उचित और महत्वपूर्ण समय फसल के 80 से 90 दिनों की होने के बाद, जब फसल में झंड़ा पत्ती (फ्लेग लीफ) निकलने के समय का होता है। यह पत्ती फसल के अंतिम विकास के चरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह पौधों को ऊर्जा उपलब्ध कराने का मुख्य स्रोत भी होती है।
यदि इस समय फसल को सही पोषण और सुरक्षा प्रदान की जाए तो उसके दाने न केवल बड़े और भारी होते हैं, बल्कि उनमें एक विशेष चमक भी आती है जिससे बाजार में फसल का भाव काफी अच्छा मिलता है। यदि कोई किसान किसी कारणवश दोनों स्प्रे नही कर पाता है तो उसे फसल की 50 से 90 दिनों की अवधि के बीच कम से कम स्प्रे तो करना ही चाहिए। इसके अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
गेहूं की फसल का उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाने का सरल उपाय
गेहूं की फसल में स्प्रे करने का सही समय और सही उत्पादों का उपयोग करने पर फसल की पैदावार बढ़ती है और उसके दानों में चमक बढ़ती है जिससे किसान को अधिक लाभ प्राप्त होता है। यदि किसान किसी कारणवश यह दोनों स्प्रे नही कर पाते हैं तो जब गेहूं की फसल 50 से 90 दिउन की अवणि के बीच की होता उन्हें कम से कम एक स्प्रे तो अवश्य ही कर देना चाहिए, इससे उनकी फसल की गुणवत्ता और उसके बाजार मूल्यों में अपेक्षित सधार होता है। इस प्रकार किसान अपनी फसल को सही समय पर उचित पोषण प्रदान कर अपनी फसल का अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और इसके साथ ही फसल के दानों की चमक से वह बाजार में अपनी फसल का अधिकतम मूल्य भी प्राप्त कर सकते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।