कपास की फसल से अधिक उत्पादन      Publish Date : 25/12/2024

                     कपास की फसल से अधिक उत्पादन

                                                                                                                                         प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

किसान भाईयों केन्द्र सरकार कपास उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसान को उच्च घनत्व वाली रोपाई (HDPS) तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है। HDPS तकनीक के माध्यम से एक ही क्षेत्र में कपास के पौधे लगाए जा सकते हैं, जिससे कपास के उत्पादन में वृद्वि होती है। पिछले दो वर्षों से HDPS तकनीक को अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है और इसके सकारात्मक पिरणाम भी देखने को मिल रहे हैं। इस तकनीक के माध्यम से विशेष रूप से कम उपजाऊ भूमि वाले क्षेत्रों में कपास के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्वि दर्ज की गई है।

                                                                 

HDPS तकनीक के माध्यम से न केवल किसानों की आय में वृद्वि दर्ज की जा रही है, अपितु इससे देश में कपास के उत्पादन में भी अच्छी वृद्वि हुई है।

कपास का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने आरम्भ किया प्रोजेक्ट HDPS

पिछले कुछ वर्षों से कीटों के प्रकोप और मौसम की अनियमितता के चलते कपास की खेती करने वाले किसानों को भारी हानि का सामना करना पड़ा। इस नुकसान के कारण ही अब किसानों का कपास की खेती के प्रति मोह भंग होता जा रहा है। इस वर्ष के खरीफ सीजन में पिछले वर्ष की तुलना में कपास की बुवाई लगभग 10 प्रतिशत क्षेत्र में कम हुई है। ऐसे में इस समस्या से निपटने और कपास के उत्पादन को बढ़ाव देने के लिए ही सरकार के द्वारा यह पहल की गई है।

                                                               

इस पहल के अन्तर्गत कम उपजाऊ और थली भूमि युक्त क्षेत्रों में उच्च घनत्व वाली रोपाई (HDPS) प्रोजेक्ट को लागू किया जा रहा है। HDPS तकनीक के माध्यम से कम स्थान में कपास के अधिक पौधे लगाए जा सकते हैं और इससे उत्पादन में भी वृद्वि की जा सकती है। इसके सम्बन्ध में सरकार का मानना ह कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से किसानों को अधिक आर्थिक लाभ होगा तो किसान एक बार फिर से कपास की खेती करने में रूचि लेने लगेंगे।

कुछ क्षेत्रों में कपास का उत्पादन 30.4 प्रतिशत तक बढ़ा

केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर के द्वारा बताया कि उच् घनत्व वाली रोपाई प्रणाली (HDPS) को अपनाने से कपास की उपज में उल्लेखनीय वृद्वि दर्ज की गई है। श्री भागीरथ चौधरी ने बताया कि उथली मिट्टी वाले क्षेत्रों में जब HDPS तकनीक को अपनाया गया तो ऐसे क्षेत्रों में कपास के उत्पादन में औसतन 30.04 प्रतिशत तक की वृद्वि दर्ज की गई है। वहीं मध्यम मिट्टी वाले क्षेत्रों में कम अंराज वाली रोपाई प्रणाली (सीएस) का उपयोग करने से औसतन 39.15 प्रतिशत तक की बढ़त को देखा गया। भारत में इस समय कपास की औसत उत्पादकता 443 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर की है।

कपास की उपज क यह आंकड़ा चीन, ब्राजील और अमेरिका जैसे प्रमुख कपास के प्रमुख उत्पादक देशों की तुलना में काफी कम है। कपास उत्पादक इन देशों में HDPS के जैसी उन्नत तकनीकी को अपनाने के कारण ही कपास की उत्पादकता में यह सुधार आया है।

कपास के उत्पादन को बढ़ाने का तरीका

भागीरथ चौधरी ने बताया कि कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों में कपास के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उच्च घनत्व वाली रोपाई प्रणली (HDPS) को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। गत तीन वर्षों के दौरान किसानों के लिए HDPS तकनीक के अनुकूल चार कॉम्पैक्ट बीटी कपास की किस्में और 19 बीटी कपास की हाईब्रिड किस्में उपलब्ध कराई गई हैं।

इस प्रकार से किसान अपने खेतों में कपास का उत्पादन अधिक प्राप्त कर सकेंगे और इससे उनकी आय में भी उल्लेखनीय वृद्वि होगी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के तहत, इस तकनीक को फिलहाल 8 राज्यों के 61 जिलों में ही लागू किया गया है।

अभी तक कितने किसानों ने अपनाई यह तकनीक

                                                                        

खरीफ सीजन वर्ष 2023-24 में उथली मिट्टी में HDPS (हाई डेन्सिटी प्लांटिंग सिस्टम) और मध्यम मिट्टी में सीएस (CS) तकनीक को अपनाने के लिए एक अभिनव पहल शुरू की गई थी। इस पहल में 10,418 किसानों को शामिल करते हुए 9,064 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुवाई की गई थी और इसके परिणाम काफी उत्साहजनक समाने आए हैं।

HDPS तकनीक को अपनाने वाले खेतों में कपास की औसत उपज में 30.04 प्रतिशत तक की वृद्वि दर्ज की गई है। ऐसे में इस सफलता को देखते हुए ही राज्य सरकार ने इस परियोजना को अब अधिक विस्तार देने का निर्णय लिया है। वर्ष 2024-25 में इस परियोजना का विस्तार 8 राज्यों तक किया जाएगा और 14,478 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

इसके अतिरिक्त, कपास की फसल को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कपास लीफ कर्ल वायरस के प्रति अत्याधिक प्रतिरोधी 11 बीटी कपास हाईब्रिड प्रजातियां भी विकसित की जा चुकी हैं। यह नई किस्में देश के उत्तरी क्षेत्र के किसानों के लिए अधिक लाभकारी सिद्व होंगी।  

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।