देर से बुआई करने के लिए सर्वोत्तम गेहूं की किस्में      Publish Date : 25/11/2024

              देर से बुआई करने के लिए सर्वोत्तम गेहूं की किस्में

                                                                                                                               प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

आईसीएआर भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के द्वारा जारी की गई देर से बुआई करने के लिए गेहूं की सर्वोत्तम किस्में- 

धान की देर से कटाई और तापमान में उतार-चढ़ाव के बावजूद, इस वर्ष नवंबर के प्रथम सप्ताह तक गेहूं की बुवाई पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 93 प्रतिशत बुआई पूरी हो चुकी है। अब तापमान गेहूं की समय पर बुआई के लिए उपयुक्त हो गया है। देशभर में बुआई तेज़ी से की जा रही है, और किसान समय, श्रम, तथा बीज बचाने के लिए मशीन से बुआई को प्राथमिकता दे रहे हैं।

ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि अधिक उपज प्राप्त करने के लिए वे गेंहूँ की बुआई के समय और स्थिति के आधार पर बहुत सावधानी से किस्मों का चयन करें और बीज किसी विश्वसनीय स्रोत से खरीदना चाहिए।

उत्तरी, पूर्वी और मध्य भारत में समय पर, देर से और बहुत देरी से बुआई के लिए गेहूं की किस्में

समय पर बोई जाने वाली किस्में

डीबीडब्ल्यू 187, डीबीडब्ल्यू 222, एचडी 3406, पीबीडब्ल्यू 826, पीबीडब्ल्यू 3226, एचडी 3086 डब्ल्यूएच 1105 सिंचित, समय पर बोया गया (20 नवंबर तक) एनडब्ल्यूपीजेडः पंजाब, हरियाणा, राजस्थान का कुछ भाग और पश्चिमी उत्तर प्रदेश।

डीबीडब्ल्यू 187, पीबीडब्ल्यू 826, एचडी 3411, डीबीडब्ल्यू 222, एचडी 3086, के 1006    एनईपीजेडः पूर्वी यूपी, बिहार, बंगाल, झारखंड।

डीबीडब्ल्यू 303, डीबीडब्ल्यू 187, एचआई 1636, एमएसीएस 6768, जीडब्ल्यू 366 सीजेंडः एमपी, गुजरात, राजस्थान।

डीबीडब्ल्यू 168, एमएसीएस 6478, यूएएस 304, एमएसीएस 6222, पीजेडः महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि में देर से बोई जाने वाली किस्में 261, पीबीडब्ल्यू 752, एचडी 3407, एचआई 1634, सीजी 1029, एमपी 3336, सीजेडः एमपी, गुजरात, राजस्थान।

बहुत देर से बोई जाने वाली किस्में

                                                    

एचडी 3271, एचआई 1621, डब्ल्यूआर 544    सिंचाई बहुत देर से बुवाई (25 दिसंबर से आगे) सभी जोन के लिए संस्तुत।

बुआई का समय, बीज दर और उर्वरक प्रयोगः भारत में गेहूं की फसल विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों और उत्पादन स्थितियों में उगाई जाती है। बुआई के समय में क्षेत्र दर क्षेत्र और अलग-अलग उत्पादन परिस्थितियों में थोड़ा अंतर हो सकता है।

गेहूं की फसल के लिए क्षेत्रवार बुआई बीज दर एवं उर्वरक की मात्रा

क्षेत्र  बुआई की स्थिति बीज दर उर्वरक की खुराक और प्रयोग का समय एनडब्ल्यूपीजेड और एनईपीजेड  सिंचित, समय पर बोया गया 100 किग्रा/ हेक्टर 150:60:40 किया एनपीके प्रति हे0 (बुवाई के समय बेसल के रूप में 1/3 एन और पूर्ण पी और के और शेष एन को पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर भागों में विभाजित करें)।

सिचित, देर से बोया गया  किग्रा/हैक्टर 125    120:60:40 किग्रा एनपीके/है (1/3 एन और पूर्ण पी और के बुआई के समय बेसल के रूप में और शेष एन पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर भागों में)।

सिचित, देर से बोया गया 125 किया/हैक्टर 90:60:40 किग्रा एनपीके/है (1/3 एन और पूर्ण पी और के बुआई के समय बेसल के रूप में और शेष एन पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर भागाँ में)।

किसानों के लिए आवश्यक सुझावः

  • गेंहूँ की लागत को कम करने और जल बचाने के लिए समय पर सिंचाई करते रहें।
  • अधिक उपज के लिए बुआई के समय और स्थिति के अनुसार सावधानीपूर्वक किस्मों का चयन करें।
  • किसी विश्वसनीय स्रोत से ही बीज खरीदें।
  • समय पर बुआई करें और देरी से बुवाई करने से बचें ताकि फसल परिपक्वता के समय गर्मी के प्रतिकूल प्रभावों से बचा जा सके।
  • अपने क्षेत्र के अनुसार सर्वाेत्तम उपयुक्त किस्म का चयन करें।
  • अधिक उपज के लिए उर्वरक, सिंचाई, शाकनाशी और कवकनाशी का इष्टतम उपयोग करें।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।