फर्ब तकनीक से गेहूं और गन्ने की खेती एक साथ      Publish Date : 15/11/2024

             फर्ब तकनीक से गेहूं और गन्ने की खेती एक साथ

                                                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

फर्ब तकनीक से गेहूं और गन्ना की खेती एक साथ करें किसान तो दोनों फसलों की मिलली है बंपर पैदावार!

                                                             

किसी भी प्रकार की खेती करने में उचित समय पर फसल बुवाई का सबसे बड़ा और एक अहम कदम होता है, विशेषरूप से गेहूं और गन्ने के जैसी फसलों की खेती के लिए। गेहूं की कटाई के बाद गन्ने की बुवाई में देरी होने से गन्ने की पैदावार में 35 से 50 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है, लेकिन, फर्ब तकनीक (फर्ब  - फरो इरिगेशन रेज्ड बेड सिस्टम) के माध्मय से गेहूं और गन्ना दोनों ही फसलों की बुवाई समय से की जा सकती है और इससे लागत बचाते हुए अधिक पैदावार भी प्राप्त की जा सकती है।

खेती करने में फसल की समय से बुवाई का महत्व बहुत अधिक होता है और विशेष रूप से गेहूं और गन्ने की खेती करने वाले किसानों को अप्रैल महीने में गेहूं की कटाई के बाद गन्ने की फसल को लगाने में अक्सर देरी हो जाती है, जिसके कारण गन्ने की पैदावार में 35 से 50 प्रतिशत तक की कमी भी हो सकती है।

लेकिन अब फर्ब तकनीक (FIRB - Furrow Irrigated Raised Bed System) के माध्यम से गेहूं और गन्ना दोनों ही फसलों की बुवाई इनके उचित समय पर की जा सकती है, जिससे लागत को बचाते हुए दोनों फसलों को एक साथ उगाकर किसान इन दोनों फसलों से बंपर पैदावार ले सकते हैं। इस तकनीक के अंतर्गत पहले रेज्ड बेड (उठी हुई क्यारी) में गेहूं की बुवाई की जाती है और फिर गन्ने की बुवाई की जाती है।

इस सिस्टम से सिंचाई के पानी की भी बचत होती है और फसलों का भारी बारिश से भी बचाव भी होता है, क्योंकि उठी हुई क्यारियों में पानी का निकास बेहतर होता है, इसमें बुवाई के लिए फरो इरीगेटेड रेज्ड बेड प्लांट मशीन से खेत में बेड तैयार किया जाता है और इसके बाद, नवंबर के महीने में पहले गेहूं की बुवाई की जाती है और उसके बाद खेत में गन्ने की फसल बुवाई कर दी जाती है।

फर्ब तकनीक के काम करने का तरीका

                                                             

फर्ब तकनीक के अंतर्गत ट्रैक्टर चालित रेज्ड बेड मेकर का प्रयोग किया जाता है, जो खेत में उठी हुई क्यारियां और नालियां बनाता है इसके बाद इन क्यारियों में 2-3 कतारों में गेहूं की बुवाई की जाती है। बेड पर गेहूं की बुवाई की गहराई 4-5 सेंटीमीटर रखी जाती है, जिससे कि बीज अच्छे से अंकुरित हो सकें।

गन्ने की बुवाई गेहूं के बाद की जाती है, इसके लिए बनी नाली में हल्की सिंचाई कर दी जाती है और जब नालियों में हल्का पानी रहता है, तब गन्ने के दो या तीन आंखों वाले टुकड़े डालकर उन्हें पैरों से कीचड़युक्त नालियों में दबाते हुए चलकर या बड़े चिप से तैयार गन्ने की पौध की रोपाई करते हैं।

दिसंबर में बोई गई गेहूं की फसल के बीच में गन्ने की बुवाई की जाती है और फरवरी में गेहूं की खड़ी फसल की नालियों में गन्ने की बुवाई की जाती है। गन्ने की बुवाई गेहूं की सिंचाई के साथ की जाती है, और गेहूं में सिंचाई सायंकाल के समय की जाती है।

फर्ब तकनीक अपनाने के लाभ

बीज की बचतः इस तकनीक से लगभग 25 फीसदी बीज की बचत होती है, जिससे एक एकड़ के लिए 30-32 किलो बीज ही पर्याप्त होता है।

पानी की बचतः यह तकनीक पानी के उपयोग को भी कम करती है और वर्षा जल को संरक्षित करती है।

उत्पादन में वृद्धिः गेहूं और गन्ने की एक साथ बुवाई से दोनों फसलों की पैदावार में वृद्धि होती है।

फसलीय लागत में कमीः इस तकनीक से फसल की तैयारी में 7-8 हजार रुपये तक की बचत हो जाती है।

किसान ले रहे इस तकनीक का फायदा

                                                             

उत्तर प्रदेश के बागत जिले के किसान राम किशन सिंह पिछले कई साल से इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है और उनका कहना है कि वह अपने 4 एकड़ खेत में गेहूं और गन्ने की इंटरक्रॉपिंग खेती करते हैं। किसान राम किशन सिंह ने बताया कि पहले गेहूं की कटाई के बाद गन्ने की बुवाई में देरी हो जाती थी, जिससे गन्ने की पैदावार कम होती थी। लेकिन अब इस तकनीक से उन्हें गेहूं से प्रति एकड़ 17 क्विंटल और गन्ने से 60 टन पैदावार मिल रही है।

उन्होंने बताया कि इस तकनीक से न केवल उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो रही है, बल्कि गन्ने की खेती के लिए जरूरी लागत भी काफी कम आ रही है।

फर्ब तकनीक से गेहूं और गन्ने की एक साथ खेती किसानों के लिए बहुत लाभकारी साबित हो रही है। इस पद्धति से न केवल पैदावार में वृद्धि होती है, बल्कि लागत में भी कमी आती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।