गेहूँ की पछेती किस्में      Publish Date : 28/10/2024

                                गेहूँ की पछेती किस्में

                                                                                                                                               प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

सभी किसान भाईयों से अपील है कि वे अपने एरिया मे गेहूँ की पछेती बुवाई, जो 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक करते हैं वह गेहूँ की बुवाई में इन किस्मों को चुनाव करें उन्हें लाभ मिलेगा।

                                                                      

यूपी-2338: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, और हरियाणा में गेंहूँ की पछेती बुवाई के लिए यह किस्म अच्छी मानी जाती है। इस किस्म की औसत पैदावार 20 से 22 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है।

एचडी-2888: असिंचित क्षेत्रों में देरी से उगाने के लिए तैयार की गई यह किस्म बुवाई के लगभग 120 से 130 दिनों बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

नरेंद्र गेहूँ-1076: यह किस्म रतुआ और झुलसा रोग के प्रति अवरोधी है और इसकी फसल 110 से 115 दिनों में काटने के योग्य हो जाती है।

डब्ल्यू एच-1124 और 1184: यह किस्म हरियाणा क्षेत्र में बुवाई करने के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है और नरम कपास वाले क्षेत्रों में भी यह अच्छी पैदावार देती है।

एचडी 359: गेंहूँ की इस किस्म को पूसा पछेती भी कहते हैं। यह भारत के उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों के लिए विकसित की गई एक उन्नत किस्म है।

एचडी-3118: यह किस्म उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में बुवाई करने के लिए विकसित की गई है।

राज-3765: पछेती बुवाई के लिए ये किस्म यूपी, राजस्थान और हरियाणा आदि क्षेत्रों में बुवाई रने के लिए अच्छी मानी जाती है। इस किस्म की की बुवाई दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक की जा सकती है। इसके तने बहुत मजबूत होते हैं और जिस कारण तेज हवाओं का इस पर असर नहीं पड़ता और इसके दाने भी देखने में चमकदार लगते हैं। यह किस्म 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है !

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।