सरसों की नई वेरायटी जो 132 दिन में होगी तैयार, किसानों के लिए लाभदायक      Publish Date : 16/10/2024

सरसों की नई वेरायटी जो 132 दिन में होगी तैयार, किसानों के लिए लाभदायक

                                                                                                                                         प्रेफेसर आर. एस. सेंगर एवं रेशु चौधरी

सरसों की पूसा सरसों 32 किस्म (Pusa Mustard-32) को जोन- 2 के लिए जारी किया गया है। यह किस्म रबी मौसम में समय से बुवाई और सिंचित अवस्था के लिए उपयुक्त किस्म है।

                                                                    

ऐसे में जो भी किसान भाई रबी के सीजन में सरसों की खेती करने के बारे में सोच रहे हैं तो हमारी यह ब्लॅग पोस्ट उनके काम की हो सकती है। पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने सरसों की एक शानदार वेरायटी जारी की है। किसानों को इस वेरायटी के माध्यम से बंपर पैदावार मिल सकती है। यह वेरायटी है ‘‘पूसा सरसों-32’’। सरसों की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान आईआरएआई, नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह किस्म सिंचित अवस्था और समय से बुवाई के लिए एक बेहतर किस्म है।

लाभदायक है इन राज्यों के किसानों के लिए

सरसों की पूसा सरसों 32 किस्म (Pusa Mustard-32) को जोन- 2 के लिए जारी किया गया है। इस जोन में राजस्थान (उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र), दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के मैदानी भाग शामिल हैं। इन क्षेत्रों के किसान सरसों की इस किस्म की खेती करके अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

पूसा सरसों-32 की विशेषताएं

                                                                    

  • यह किस्म रबी मौसम में समय से बुवाई और सिंचित अवस्था के लिए उपयुक्त है।
  • इसके पौधे के मुख्य तने की लंबाई 73 सेंटीमीटर तक होती है।
  • इस किस्म का फली घनत्व बहुत अधिक हैं।
  • यह किस्म 132 से 145 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
  • इस किस्म की औसतन पैदावार 27.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
  • इस किस्म की अधिकतम उपज क्षमता 33.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
  • इस किस्म में तेल की मात्रा 38 प्रतिशत तक पाई जाती है।
  • यह किस्म कम जल के तनाव की स्थिति के लिए सहिष्णु है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।