सुर्ती की खेती करने से बढ़ेगी किसानों की आय Publish Date : 03/10/2024
सुर्ती की खेती करने से बढ़ेगी किसानों की आय
प्रोफेसर आर. एस. सेगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
किसान अब खेती करने के नए-नए तरीकों को अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ाने में जुटे हैं। वे अब उन फसलों की खेती की खेती ओर अधिक ध्यान दे रहे हैं जिनकी बाजार में डिमांड ज्यादा है। साथ ही, जैविक खेती की ओर भी किसानों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। इसी कड़ी में, किसान अब अपने खेतों में सुर्ती की खेती कर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। सुर्ती की बाजार में भारी डिमांड है, जिससे फसल तैयार होने के बाद आसानी से बिक जाती है और इसकी अच्छी कीमत भी मिलती है।
सुर्ती की खेती कब की जाती है
सुर्ती के बीज बोने का सबसे उचित समय सितंबर का महीना माना जाता है। सितंबर से लेकर अक्टूबर के शुरुआती दिनों तक सुर्ती के बीजों की बुवाई करना, फसल के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। सुर्ती की खेती कर रहे किसान बताते हैं कि बीज बोने के 6 से 7 हफ्ते में इसके पौधे निकलने लगते हैं। इसके बाद इन पौधों की खेत में रोपाई कर दी जाती है। बुवाई के दौरान बीज की खपत भी बहुत मामूली होती है। एक बीघा के खेत में सुर्ती बोने के लिए महज 50 से 60 ग्राम बीज की जरूरत होती है।
5-6 महीने में हो जाती है फसल तैयार
सुर्ती की खेती करने के लिए मिट्टी का भुरभुरा और लाल होना जरूरी होता है। खेत में जल भराव की समस्या नहीं होनी चाहिए, क्योंकि जल भराव की स्थिति में यह फसल सड़ने लगती है। पौधों में पत्ते आने के बाद इनकी शाखाओं को तोड़ना पड़ता है और लगभग 5 से 6 महीने में फसल पूरी तरह से कटने के लिए तैयार हो जाती है।
20 हजार की आती है लागत
सुर्ती की खेती कर रहे किसानों के अनुसार, इस फसल को एक बीघे खेत में बुवाई करने के लिए लगभग ₹20,000 की लागत आती है और यदि फसल की पैदावार अच्छी हुई, तो मार्केट में ₹80,000 से ₹90,000 प्रति बीघा की दर से आसानी से इसकी बिक्री हो जाती है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इस फसल को बेचने के लिए मंडी या बाजार जाने की जरूरत नहीं होती, बल्कि व्यापारी खुद जगह पर आकर इसकी खरीदी करते हैं। इस प्रकार, किसान सुर्ती की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।