सरसों की बुआई करने के लिए उचित खाद      Publish Date : 30/09/2024

                       सरसों की बुआई करने के लिए उचित खाद

                                                                                                                                                           प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

जैसा कि सब जानते ही हैं कि अब सरसों की बुवाई का समय नजदीक आ रहा है, और किसान भाई पहले से ही डीएपी (डाइअमोनियम फॉस्फेट) खाद की खरीद के लिए भागदौड़ शुरू कर चुके हैं। यह आम धारणा है कि बुवाई के समय खाद की कमी हो सकती है, इसलिए किसान पहले से ही खाद का स्टॉक कर लेना चाहते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग ने हिदायत जारी की है कि किसान भाई डीएपी के स्थान पर एसएसपी (सिंगल सुपर फॉस्फेट) का भी उपयोग कर सकते हैं।

डीएपी के स्थान पर एसएसपी का ही प्रयोग क्यों?

                                                                         

डीएपी एक लोकप्रिय रासायनिक खाद है, जिसे किसान अक्सर सरसों जैसी तिलहनी फसलों के लिए एक लंबे समय से उपयोग करते आ रहे हैं। आमतौर पर किसान प्रति एकड़ 50 किलोग्राम डीएपी का उपयोग करते हैं। लेकिन कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि डीएपी का प्रयोग इस मात्रा में करने से सल्फर की कमी होती है, जो कि सरसों की अच्छी पैदावार के लिए बहुत आवश्यक तत्व होता है।

एसएसपी का उपयोग करने के लाभ

एसएसपी न केवल फॉस्फोरस प्रदान करता है, बल्कि इसमें लगभग 12 प्रतिशत सल्फर भी होता है, जो तैलीय फसलों के लिए अत्यंत आवश्यक तत्व होता है। सल्फर की कमी से फसल की गुणवत्ता और पैदावार दोनों पर ही नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसान डीएपी के स्थान पर एसएसपी का उपयोग करें तो इससे फसल पैदावार और फसल की गुणवत्ता दोनों में ही अपेक्षित सुधार होता है।

खाद के उपयोग पर कृषि वैज्ञानिक की सलाह

                                                                

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ0 राकेश सिंह सेंगर के अनुसार, वर्तमान में किसान अधिक पैदावार की लालसा में रासायनिक खादों का अधिक से अधिक प्रयोग कर रहे हैं, जिससे भूमि की उर्वरक क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके लिए डॉ0 सेंगर ने सुझाव दिया है कि सरसों की बुवाई के समय किसान निम्नलिखित मात्रा में खाद का उपयोग करेंगे तो उन्हें अच्छा और उच्च क्वालिटी का उत्पादन प्राप्त होगा।

  • एसएसपी: 75 किलोग्राम प्रति एकड की दर से।
  • यूरिया: 35 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से।
  • पोटाश (एमओपी): 14 किलोग्राम प्रति एकड की दर से।
  • जिंक सल्फेट: 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से।

इसके अतिरिक्त, किसान एक बैग एनपीके (12: 32: 16), दो बैग जिप्सम, 15 से 20 किलोग्राम यूरिया और 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट एकसाथ मिलाकर भी प्रयोग कर सकते हैं।

सरसों की बुआई का सही समय

सरसों की बुआई का उचित समय 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक माना जाता है। कुछ किसान इस अवधि से पहले भी बुवाई शुरू कर देते हैं, जो मुख्यतः मानसून की बारिश पर निर्भर करता है। यदि बारिश अच्छी होती है, तो सरसों का रकबा बढ़ जाता है, जबकि कम बारिश के कारण इसका क्षेत्रफल भी कम हो जाता है।

खाद की उपलब्धता और खेत की तैयारी

                                                        

हालांकि खाद की उपलब्धता तो फिलहाल ठीक ही है, लेकिन किसान इस चिंता में रहते हैं कि कहीं बुवाई के समय खाद की कमी न हो जाए। इसलिए, वे पहले से ही खाद की व्यवस्था करने की कोशिश लगे रहते हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खाद के चयन में सावधानी बरतें और बुवाई के लिए खेत की उचित तैयारी करें।

खेत की जुताई और नमी की जांच के साथ-साथ पलेवा करना भी बुआई करने के लिए आवश्यक होता है। इस प्रकार की सावधानियों से बुवाई का समय और फसल की पैदावार दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।