अक्टूबर-नवंबर महीने में करें गन्ने की फसल की बुवाई, दोगुनी होगी कमाई Publish Date : 13/09/2024
अक्टूबर-नवंबर महीने में करें गन्ने की फसल की बुवाई, दोगुनी होगी कमाई
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
जलवायु बदलते दौर की अगर बात की जाए तो भारत सरकार द्वारा किसानों की आय को दोगुना करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं. इसको लेकर भी सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं. ताकि किसान खेती में भी वैज्ञानिक पद्धति का अनुसरण करते हुए एक प्रगतिशील किसान बन सके।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिला मेरठ की बात करें, तो यहां किसानों द्वारा बड़ी संख्या में गन्ने की खेती की जाती है। लेकिन इसकी बुवाई को लेकर कोई निश्चित समय यहां देखने को नहीं मिलता है, जिसका प्रभाव कहीं ना कहीं सीधे तौर पर गन्ने की पैदावार पर ही देखने को मिलता है। ऐसे में हमारे कृषि एक्सपर्ट और सरदाद वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर कहते हैं कि यदि गन्ने की बुवाई 15 अक्टूबर से 30 नवंबर माह के मध्य की जाए, तो ऐसा करने से किसानों को काफी लाभ प्राप्त हो सकता है।.
डॉ0 आर. एस. सेंगर ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अगर बात की जाए, तो इस क्षेत्र के मात्र 10 प्रतिशत किसान ही अक्टूबर नवंबर माह में गन्ने की फसल की बुआई करना उचित समझते हैं, जबकि 90 प्रतिशत किसान अन्य मौसम में गन्ने की फसल बुबाई करते हैं। जबकि अक्टूबर-नवंबर माह में गन्ने की फसल बुवाई के लिए सबसे उपयोगी रहता है। ऐसे में यदि किसान इस पद्धति को अपना कर गन्ने की बुआई करेंगे तो निश्चित रूप से उनकी आय दोगुनी हो जाएगी, क्योंकि शरद कालीन गन्ने की बुवाई के साथ अन्य प्रकार की फसलों का सहफसली के तौर पर भी लाभ लिया जा सकता है.।
डॉ0 सेंगर के अनुसार किसान खेतों में गन्ने की बुवाई करने से पहले मिट्टी की जांच अवश्य करा लें, क्योंकि जब खेत की मिट्टी की जांच किसानों द्वारा आधुनिक लैब में कराई जाती है, तो उस मिट्टी की उर्वरक क्षमता के बारे में किसानों को पता चल जाता है। इससे आपको लैब के द्वारा ही खेती करने की विभिन्न प्रकार की विधि बताई जाएगी और इस प्रकार किसान को अनुशंसित विधि के अनुसार ही खाद, पानी और बीज का उपयोग करना चाहिए।
मिट्टी की जांच करवाने के बाद किसान को इस बारे में किसानों को पता चल जाता है कि किसान किस तत्व का प्रयोग कितनी मात्रा में करें, क्योंकि कई बार देखा जाता है कि जमीन की जांच न करने के कारण किसान फर्टिलाइजर का खेतों में अधिक उपयोग करते हैं, जिससे कहीं ना कहीं जो मिट्टी की उर्वरक क्षमता पर बुरा असर होता है। इससे किसान की लागत अधिक आती है और किसान का मुनाफा कम हो जाता है।
डॉ0 सेंगर के अनुसार गन्ने के बीज की वैरायटी में भी अक्सर देखा जाता है कि काफी रोग लग जाते हैं। जब लोग से संबंधित बीज को खेत में बुवाई कर देते हैं, तो उसका सीधा असर फसल पर देखने को मिलता है। ऐसे में किसान को पहले ही बीज का ट्रीटमेंट करना चाहिए. जिसके लिए बाजार में विभिन्न प्रकार की चीज उपलब्ध है। अगर इन सभी बातों का किसान ध्यान रखेंगे, तो उन्हें काफी फायदा होगा। बता दें कि वेस्ट यूपी से संबंधित जिलों जैसे मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, बागपत एवं अन्य जनपदों में किसान इस विधि के माध्यम से गन्ने के साथ अन्य प्रकार की शरदकालीन फसलों को भी उगा रहे हैं, जिसके माध्यम से किसानों को काफी मुनाफा भी हो रहा है और वह प्रगतिशील किसानों की श्रेणी में शामिल हो रहे हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।