वैज्ञानिक विधि से करें मशरूम की खेती Publish Date : 10/09/2024
वैज्ञानिक विधि से करें मशरूम की खेती
प्रोफेसर गोपाल सिंह एवं प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
वर्तमान तकनीक दौर में उत्तर प्रदेश में इन दिनों कुछ किसान ऑर्गेनिक तरीके से मशरूम की खेती करना आरम्भ किया है। ऐसे में हमारे कृषि विशेषज्ञ किसानों को मशरूम की आर्गेनिक के लिए प्रयुक्त की जाने वाली वैज्ञानिक विधि और उसके तमाम लाभ बताने जा रहें हैं। यदि आप भी मशरूम की खेती के खेती करना चाहते है तो हमारे इस आर्टिकल को अन्त तक पढ़े और इसमें दी गई जानकारियों का लाभ उठाते हुए मशरूम की खेती से बम्पर मुनाफा कमाएं।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मोदीपुरम मेरठ के प्रोफेसर एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ0 गोपाल सिंह बता रहे हैं कि मशरूम की खेती करने के लिए विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण प्राप्त कर आप अपने घर पर ही मशरूम की बटन वैरायटी की खेती शुरू कर सकते हैं और इससे बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं। इसके साथ ही किसान इस मशरूम की खेती से अपनी आय बढ़ाकर अपने जीवन स्तर एवं आर्थिक स्तर में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
एक प्रगतिशील किसान हिमांशु सैनी ने विश्वविद्यालय से मशरूम की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मशरूम की खेती करना आरम्भ किया तो उन्हें बटन मशरूम की खेती से अच्छा लाभ हुआ और इसके बाद उन्होंने मशरूम की अन्य वैरायटीज की खेती करना शुरू कर दिया। अब हिमांशु सैनी मशरूम की खेती के लिए पूरे जनपद में प्रसिद्ध हो चुके हैं और आजकल अपने घर पर ही मशरूम के बैग तैयार कर ऑस्टर मशरूम और मिल्की मशरूम की पैदावार ले रहे हैं।
इस खेती के बाबत हिमांशु सैनी ने बताया कि मार्केट में मशरूम की बहुत अच्छी डिमांड है। यह 120 रुपए प्रति किलो से लेकर 150 रुपए प्रति किलो तक मंडी में मशरूम बिक जाता है। वहीं हिमांशु सैनी का मशरूम उत्तराखंड़ और दिल्ली तक भी बेचा जाता है। किसान हिमांशु सैनी ने बताया कि विभिन्न तरह की सब्जियों की खेती करने के स्थान पर मशरूम की खेती करने से कई गुना अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।
डॉ0 गोपाल सिंह ने बताया कि मशरूम की खेती करने के लिए तापमान को मेंटेन रखना पड़ता है। मशरूम खाने में काफी स्वादिष्ट लगता है और इसकी सब्जी या फिर पकौड़े आदि बनाकर खाना लोग काफी पसंद करते हैं। मशरूम में प्रोटीन काफी अधिक मात्रा में उपलब्ध रहता है। एक बार मशरूम का बैग तैयार करने के बाद यह बैग 3 महीने तक चलता है। इसके बाद फिर दोबारा से मशरूम का बैग तैयार किया जाता है।
मशरूम की खेती करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है, हालांकि इसमें मुनाफा भी उतना ही अधिक होता है। अपने निर्देशन में लगाई गई मशरूम को समय-समय पर कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गोपाल सिंह मशरूम की पैदावार को देखने के लिए उक्त स्थान पर पहुंचते हैं और किसान को मशरूम में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न आए उसके लिए दिशार्निदेश देकर उन्हें प्रशिक्षित भी करते रहते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।