अब तालाब के साथ-साथ खेत में भी हो सकेगी मखाने की खेती      Publish Date : 09/09/2024

       अब तालाब के साथ-साथ खेत में भी हो सकेगी मखाने की खेती

                                                                                                                                       प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृषाणु

सरकार की ओर से भी मिलेगा 50 प्रतिशत तक का अनुदान

मखाने की खेती से कम लागत में कैसे कमाए ज्यादा मुनाफा, मखाना खेती करने की दो प्रमुख प्रणालियां

                                                  

सुपर फूड माने जाने वाले मखाने की खेती अब किसानों की आर्थिक सेहत को भी सुधार रही है। परंपरागत फसलों की तुलना में कई गुना ज्यादा मुनाफा देने के कारण किसान इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। मखाने की खेती परपंरागत तरीके से तालाब या जल जमाव वाली जमीन में की जाती है। परन्तु अब बदलते समय के साथ मखाने की खेती धान की भांति सामान्य खेत में भी की जा सकती है। इसके लिए खेत में 6 से 9 इंच तक पानी भरना होता है।

कृषि वैज्ञानिक समतल खेत में मखाने की खेती से जुड़ी जानकारी किसानों को दे रहे हैं। साथ ही सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए मखाने की खेती को प्रोत्साहित कर रही है और खेत में मखाना की खेती करने पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी दे रही है। आज हम अपनी इस ब्लॉग पोस्ट में मखाने की खेती और सब्सिडी के बारे में विस्तार जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं।

मखाना की खेती की दो प्रमुख प्रणालियां

                                                           

मखाना की खेती करने की दो प्रणालियां, जो किसानों के बीच अधिक लोकप्रिय है। इनमें से पहली है जलकर प्रणाली और दूसरी है समतल खेत प्रणाली। जलकर प्रणाली में ऐसे स्थान पर मखाने की खेती की खेती की जाती है, जहां पर साल भर पानी का जमाव रहता है, जैसे पोखर, तालाब, चाप और मरी हुई नदी आदि।

वहीं समतल खेत प्रणाली के अन्तर्गत खेत के चारों ओर एक मोटा बांध बनाकर पानी को रोका जाता है और खेत में मखाने की रोपाई की जाती है। जब तक इसमें फलन नहीं हो जाता, तब तक पटवन जारी रहता है। उपरोक्त दोनों प्रणालियों में से खेत प्रणाली अधिक लाभदायक होती है। वर्तमान में किसान बड़ी संख्या में खेत प्रणाली से मखाना की खेती को अपना रहे हैं। इसकी फसल के लिए बीज और बेल दोनों ही पानी में डाली जाती है। इसकी बेल को घसीटा, कमल ककड़ी, भसीड़ा और मुराल आदि के नाम से भी जाना जाता है।

समतल खेत में ऐसे होगी मखाने की खेती

                                                              

विश्व में मखाने का सबसे बड़ा उत्पादक भारत है और भारत में मखाने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बिहार है। यह राज्य मखाने की 80 प्रतिशत तक की आपूर्ति करता है। बिहार में मखाने की खेती तालाबों में की जाती है। लेकिन अब आधुनिक तकनीक से मखाने की खेती समतल खेतों में भी आसानी से की जा सकती है। समतल खेतों में मखाने की खेती के लिए खेत में खेत में 6 से 9 इंच तक पानी भर दिया जाता है। यह पानी खेत में लगातार भरा रहना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अगर किसान तालाब की बजाए खेत में पानी भरकर मखाने की खेती करते हैं तो इससे उन्हें ज्यादा पैदावार मिलती है।

कृषि वैज्ञानिक समतल खेतों में मखाना की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। हाल ही में बिहार के पूर्णिया जिले में जिला पदाधिकारी कुंदन कुमार, जिला उद्यान पदाधिकारी राहुल कुमार और भोला पासवान, शास्त्री महाविद्यालय के कृषि एक्सपर्ट डॉ० रूबी साहा सहित अन्य संबंधित अधिकारियों ने मखाना की खेती कर रहे प्रगतिशील किसानों को जानकारी दी कि खेत में मखाना की खेती कैसे की जा सकती है और किसान इससे कैसे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

बिहार के अलावा अब अन्य राज्यों तक पहुंची मखाने की खेती

अभी तक मखाने की खेती में बिहार का ही एकाधिकार था। भारत के 80 प्रतिशत मखाने का उत्पादन उत्तर बिहार के दरभंगा, मधुबनी व आसपास के जिलों में होता है। बिहार के दरभंगा जिले से शुरू हुई मखाने की खेती पूर्णिया, कटिहार, सहरसा आदि से होते हुए अब उत्तर प्रदेश, बंगाल, असम, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर और मध्य प्रदेश के ज्यादातर जिलों में पहुंच चुकी है। उत्तर प्रदेश ने पिछले कुछ सालों में मखाना की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि दर हासिल की है।

मखाना की खेती पर किसानों को मिलेगी सब्सिडी

                                                                

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मखाना की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी देने की योजना बनाई है। साथ ही किसानों को मखाना की खेती की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। सबसे पहले पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बड़े स्तर में मखाना की खेती (Makhana) की शुरूआत की जाएगी। फिलहाल मखाना की खेती के लिए वाराणासी के 8 विधानसभा क्षेत्रों से 25 किसानों का चयन किया गया है।

चयनित किसानों को दरभंगा, बिहार के मखाना संस्थान में सरकार की ओर से ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के तहत किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी। मखाना की खेती की लागत 80 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर निर्धारित की गई है। जिसमे से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी उद्यान विभाग की ओर से किसानों को दी जाएगी। मखाना की खेती (Cultivation of Makhana) के लिए केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें फंडिंग कर रही है।

वहीं, बिहार में मखाना की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 72 हजार रुपए की सब्सिडी दी जाती है। इसके साथ ही किसानों को सस्ती दर पर बीज भी उपलब्ध कराया जाता हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।