धान की बंपर पैदावार के लिये इस दवा का करे छिड़काव, तेजी से बढेंगे कल्ले Publish Date : 07/09/2024
धान की बंपर पैदावार के लिये इस दवा का करे छिड़काव, तेजी से बढेंगे कल्ले
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी
धान की रोपाई के 25-50 दिन के दौरान धान की फसल में कल्ले निकलने लगते हैं। यह वही समय है, जब धान के पौधों को सबसे ज्यादा पोषण की आवश्यकता होती है। इस दौरान धान के खेत में किसान अंतिम खाद का प्रयोग रहे होते हैं, जिससे उनकी फसल बिना कोई रोग लगे तैयार हो सके।
140 दिन में तैयार होती है धान की यह प्रजाति
जहां एक ओर अपनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान यूरिया के साथ कैब मैक्स और पोटाश आदि का प्रयोग यूरिया के साथ धान के खेतों में करते हैं, जिससे उनके खेतों में धान की फसल की पैदावार अधिक हो और वह अधिक मुनाफा कमा सकें। बता दें कि धान की फसल 130 दिन से लेकर 140 दिन में तैयार हो जाती है।
रोगों से बचाव के लिए करते हैं दवा का छिड़काव
जहां कैब मैक्स और पोटाश में कैल्शियम, बोरॉन और नाइट्रोजन होता है, यह पौधों के ऊतकों की कोशिका की दीवारों को मजबूत बनाता है। यह धान के पौधों को रोगों और तनाव आदि से बचाता है। यह मिट्टी में कैल्शियम और बोरॉन की उपलब्धता को भी बढ़ाता है, इसीलिए किसान अपने खेत में अंतिम खाद के साथ उत्पादन क्षमता को बढ़ाने वाली सभी दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनकी फसल की पैदावार अधिक हो सके।
धान की अधिक पैदावार देने वाली प्रजाति
कृषि विशेषज्ञ प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने जानकारी देते हुए बताया कि पैदावार के मामले में धान की प्रजाति PR-113 धान की बेस्ट प्रजाति मानी जाती है। इस प्रजाति से 1 एकड़ में किसान करीब 25 कुंतल से लेकर 30 कुंतल तक धान की पैदावार करते हैं, वहीं पीआर-113 में लंबे, पतले, स्पष्ट, परभासी दाने होते हैं और धान की इस प्रजाति में किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा होता है। इसके साथ ही इस धान की यह प्रजाति 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
इस समय किसान अपने खेतो में पैदावार बढ़ाने के लिए अंतिम खाद के साथ दवाओं का भी मिश्रण कर रहे हैं, जिससे पौधों को पर्याप्त मात्रा में दवाईयां मिल सके और धान की पैदावार अधिक हो सके।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।