खेतों में जमा पानी, धान पर मंडरा रहा शीथ ब्लाइट खतरनाक रोग का खतरा Publish Date : 05/09/2024
खेतों में जमा पानी, धान पर मंडरा रहा शीथ ब्लाइट खतरनाक रोग का खतरा
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
कृषि प्रधान देश भारत में धान उसकी मुख्य फसलों में से एक है। देश के बड़े हिस्से में धान की फसल उगाई जाती है। बारिश के मौसम में ही उगाई जाने वाली इस फसल को कई तरह के रोग फसल को चपेट में ले सकते हैं। ऐसे ही शीथ ब्लाइट रोग धान की फसल को चपेट में लेता है, जिससे किसानों की धान की पूरी फसल नष्ट हो सकती है। जरूरी है कि किसान शीथ ब्लाइट की रोकथाम के लिए समय पर जरूर कदम उठाएं।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि शीथ ब्लाइट रोग ज्यादा दिनों तक फसल में पानी भरा रहने या फिर ज्यादा मात्रा में नाइट्रोजन का इस्तेमाल करने से आता है। इस रोग के आने से धान के पौधों की पत्तियां भूरे रंग की हो जाती हैं, तना गलने लग जाता है और भूरे रंग के धब्बे आ जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि इस रोग की रोकथाम समय पर कर ली जाए, अन्यथा धान की पूरी फसल बर्बाद हो सकती है।
घटता तापमान खतरनाक
डॉ0 सेंगर ने बताया कि जब तापमान 28 से 32 डिग्री के ऊपर बढ़ने लगता है, उस दौरान यह रोग तेजी से फैलता है। यह राइजोक्टोनिया सोलानाई नाम की फफूंदी से फैलता है। धान की फसल में रोग ना आए इसके लिए बीज उपचार करने के बाद ही धान की पौध तैयार करनी चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें की धान की फसल में ज्यादा दिनों तक पानी न भरा रहे।
इस दवा का करें छिड़काव
डॉ0 सेंगर ने बताया कि धान की फसल में जैसे ही शीथ ब्लाइट रोग पौधों को अपनी चपेट में ले रहा हो वहां रासायनिक उपचार कर रोग की रोकथाम की जा सकती है। डॉ0 सेंगर ने बताया कि थाईफ्लुज़ामाइड 24 प्रतिशत एससी (Thifluzamide 24% SC) नाम का कीटनाशक का इस्तेमाल धान की फसल में कर सकते हैं। 150 उस दवा 150 से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर एक एकड़ फसल पर छिड़काव कर सकते हैं। जिससे रोग की रोकथाम हो जाएगी, लेकिन अगर पूरी तरह से रोग का नियंत्रण न हो पाए तो किसान एक सप्ताह का अंतराल रखने के बाद अजक्सीस्ट्रॉबिन (Azoxystrobin) नाम की 200 एमएल दवा को 150 से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर एक एकड़ धान की फसल में छिड़काव कर सकते हैं, जिससे शीथ ब्लाइट रोग की रोकथाम हो जाती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।