अरहर की खेती करते समय ध्यान रखने योग्य तथ्य और, बुवाई करने का सही तरीका Publish Date : 04/09/2024
अरहर की खेती करते समय ध्यान रखने योग्य तथ्य और, बुवाई करने का सही तरीका
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी
देश में खरीफ सीजन को लेकर बड़े पैमाने पर खेती की जा रही है। किसान धान की रोपनी कर रहे है। वहीं कई किसान अरहर के खेती कर रहे है। अरहर की खेती को लेकर वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट के तहत बढ़ावा दिया जा रहा है। अगर आप भी अरहर की खेती कर रहें है तो जानिए फसल के देख भाल करने के कुछ प्रमुख उपाय-
अरहर की खेती को उचित देख भाल की जरूरत होती है। ऐसे में रोपनी से लेकर कटाई तक अरहर का देखभाल करना बहुत जरूरी है। पूरे देश में बड़े पैमाने पर अरहर की खेती की जाती है। इसके साथ साथ इस अरहर के स्वाद और गुणवत्ता भी देश में बेहतर होता है। अगर आप भी अरहर की खेती कर रहे तो इसके लिए कुछ तथ्यों पर ध्यान देने की जरूरत है.होती है तो आइए जानते है कि कौन से हैं वे तथ्य-
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ के प्रोफेसर एवं कृषि विशेषज्ञ डॉ. आर. एस. सेंगर ने बताया कि अरहर की खेती कर रहे किसानों को सबसे पहले ध्यान देने की जरूरत है कि इसकी खेती ऊँचाई वाली जमीन में ही करें। इसके साथ साथ मध्यम जमीन में अरहर की खेती कर रहे है तो खेत में मेढ़ बनाकर कर इसकी खेती कर सकते है। किसानों को अच्छे जल निकास की सुविधा वाले खेतों में अरहर की खेती करनी चाहिए।
अरहर लगाने के बाद, खेत में पानी भरा होने से फंगस का हमला हो सकता है, जिससे फसल को नुकसान हो सकता है। अतः इससे बचाव के लिए खेत में जगह जगह काटकर मेढ़ बना लेनी चाहिए, ताकि खेत में जल जमाव न हो सके। सितंबर महीने तक वर्षा होती है, जिससे अरहर के फसल को खतरा हो सकता है। इसके बचाव के लिए खेत में मेढ़ बनाकर जल निकासी की सुविधा का उपाय करना बेहद जरूरी होता है।
अरहर की फसल से खरपतवार को समाप्त करने के लिए रोपनी के समय पेंडिमेथिलीन दवा को 5 एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए, इससे खरपतवार समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा 20 से 25 दिन पर इमेजाथाईरीपर दवा को 1एम एल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव भी करना चाहिए। वहीं किसान को रोपनी के 20 से 25 दिन और 40 से 50 दिन पर निराई गुड़ाई अवश्य करनी चाहिए।. जिससे खेत में खरपतवार को समस्या से छुटकारा मिलता है।
जब अरहर के खेत में फूल आ जाते है तो कीटों के प्रकोप होने का खतरा भी बढ़ जाता है,.जिसमें कीट अंडा देते है और फूल के रस को चूस जाते है, जिससे फूल सुख जाता है। वहीं फल जब तैयार होता है तो कीट उसे छिद्र कर बाहर आते है, जिससे फसल बर्बाद हो सकती है। इससे बचाव के लिए समय समय पर किसानों को खेत में घूमकर खेत की निगरानी करने की जरूरत होती है। यदि फूल सूखता दिखाई पड़ रहा है तो जल्द से जल्द क्यूरक्रोन नामक दवा को 2एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए, जिससे फसल को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।