मात्र चालीस दिन में तैयार हो जाती है शलजम की फसल      Publish Date : 17/08/2024

                मात्र चालीस दिन में तैयार हो जाती है शलजम की फसल

                                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा

रेतीली जमीन में भी बंपर उपज, कमाई के साथ सेहत भी होगी बेहतर

                                                                        

कृषि के क्षेत्र में किसानों को हमेशा नई और लाभकारी फसलों की तलाश रहती है। किसान अक्सर ऐसी फसल की खेती करना चाहते हैं, जो उन्हें कम समय में अच्छा मुनाफा द सके। आज हम ब्लॉग में आपको एक ऐसी ही फसल के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जो 40 से 60 दिनों में ही शानदार मुनाफा दे सकती है। जी हाँ आज हम बात कर रहे हैं शलजम की खोती के बारे में, जो न केवल कम लागत वाली फसल है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हमें प्राप्त होते है।

अतः शलजम को लगा कर आप मात्र डेढ़ से दो महीनों में ही अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, साथ ही इसका सेवन करने से आप स्वस्थ भी बने रह सकते हैं। अगर आप भी शलजम की खेती करना चाहते हैं, तो आपको इसकी खेती के सम्बन्धित लगभग प्रत्येक सवाल का जवाब देने जा रहे हैं हमारे कृषि विशेषज्ञ प्रोफेसर श्री राकेश सिंह सेगरः-

शलजम की खेती के लिए उपयोगी मृदा

                                                               

कृषि वैज्ञानिक डॉ0 आर. एस. सेंगर की मानें तो शलजम की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी बलुई, दोमट या रेतीली मिट्ठी होती है। यह मिट्टी शलजम की जड़ों को अच्छा समर्थन प्रदान करती है। जिससे फसल की वृद्धि और उसकी गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार होता है। खेत की तैयारी के दौरान खेत की गहरी जुताई करना अत्यंत आवश्यक होता है, जिससे पुरानी फसलों के अवशेष खेत से समाप्त हो जाते हैं और नए पौधों को भी अच्छा वातावरण मिलता है। इसके बाद, बीज की बुवाई पंक्तियों में 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर की जाती है, जिससे पौधों को पर्याप्त जगह मिलती है।

                                                                       

शलजम एक ठंडी जलवायु की फसल है, और इसके लिए 12 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल माना जाता है। बुवाई के लगभग 40 से 60 दिनों के भीतर शलजम की फसल तैयार हो जाती है। खासकर पूसा स्वेती और पूसा कंचन जैसी किस्में 45 से 50 दिनों में ही तैयार हो जाती हैं। जबकि अन्य किस्मों को तैयार होने में 50 से 60 दिन लग भी सकते हैं। आप अगस्त के महीने में भी इसकी बुआई कर सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।