धान की पत्तियों में दिख रहे हैं भूरे रंग के धब्बे, तो शीघ्र ही करें उपाय Publish Date : 09/08/2024
धान की पत्तियों में दिख रहे हैं भूरे रंग के धब्बे, तो शीघ्र ही करें उपाय
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं हिबिस्का दत्त
अब धान की रोपाई लगभग खत्म हो चुकी है और धान की फसल की बढ़वार अब प्रगति पर है। हर किसान चाहता है कि फसल से पैदावार अच्छी निकले, इसके लिए किसान दिन रात मेहनत करता है। बीच में कुछ ऐसी परेशानियां ऐसी भी आती हैं, जिनको किसान समझ नहीं पाता है और उसे घाटे का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कृषि एक्सपर्टस के अनुसाऱ धान की पत्तियों में इस समय खैरा रोग का प्रभाव दिखने लगता है। इसके प्रभाव से पत्तियों पर खैरे या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
ऐसे में कुछ खास विधि को अपनाकर किसान न केवल इस रोग से फसल का बचाव कर सकता है बल्कि अच्छी पैदावार पाकर मोटी कमाई भी करने में कामयाब हो सकता है।
सरदार वल्लभभाईं पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रो. आर. एस. सेंगर ने बताया इस समय धान की देखरेख का बहुत बढ़िया समय चल रहा है। जिन किसान भाइयों ने धान की रोपाई कर दी है और धान लगभग 20 से 25 दिन का हो गया है, तो वह सबसे पहले यूरिया की टॉप ड्रेसिंग अपनी फसल पर कर दें।
धान के फसल में लगने वाला रोग और उससे बचाव
धान के खेत में पौधों की पत्तियों पर खैरे के रंग का या भूरे रंग के जगह-जगह झुंड के रूप में धब्बे दिखाई दे रहे हैं तो यह खैरा रोग के आक्रमण का लक्षण है। खैरा रोग में सबसे जरूरी है कि इस पर जल्द नियंत्रण किया जाए । इसके लिए बाजार में जिंक सल्फेट 33 प्रतिशत जिंक सल्फेट 24 प्रतिशत और जिंक सल्फेट 17 प्रतिशत का भी आता है।
इसके लिए कोशिश करे की जिंक सल्फेट 33 प्रतिशत का मिल जाए और उसके बाद करीब 2 किलो यूरिया और उसमें 200 ग्राम जिंक सल्फेट और इसके बाद जब छिड़काव करना हो तो उसके एक दिन पहले 10 लीटर पानी में ढाई किलो चूना डाल दें और दूसरे दिन जब छिड़काव करना है तो उस दिन ढाई किलो यूरिया 200 ग्राम जिंक सल्फेट और 10 लीटर चूने के पानी से एक 100 लीटर का घोल तैयार कर लें और पत्तियों पर छिड़काव करें। ध्यान रहे की छिड़काव सुबह या शाम के समय ही करें। ऐसी स्थिति में अगर छिड़काव किया जाता है तो किसानों को बहुत अच्छा लाभ मिलता है और बहुत अच्छा प्रभाव भी दिखाई देता है। खैरा रोग का नियंत्रण भी हो जाता है।
अच्छा उत्पादन के लिए यह समय बेहद खास
यह समय धान के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण समय होता है. क्योंकि इसके बाद ही कल्ली निकलने की स्थिति आती है. तो इस स्थिति में नाइट्रोजन का प्रबंधन करना बहुत जरूरी है और इस बात का ध्यान रखें कि खेत में पानी लगाए रखें। पानी कम पड़ेगा तो कल्लो की संख्या घट जाती है. इसके लिण् उपर्युक्त विधि को अपनाकर अपनी फसल को न केवल स्वस्थ और मजबूत बना सकते हैं. बल्कि अच्छा उत्पादन पाकर किसान मालामाल भी बन सकते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।