यह विधि है खेती के लिए रामबाण Publish Date : 09/08/2024
यह विधि है खेती के लिए रामबाण
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
अधिक आय के लिए किसान पारंपरिक खेती के साथ ही साथ हरी सब्जियों की खेती भी कर सकते हैं। इससे उनकी आमदनी काफी अच्छी हो जाएगी। क्योंकि, हरी सब्जियों में तोरई, लौकी की बाजारी मांग को देखते हुए इसका उत्पादन किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है। खास बात यह है कि इसकी खेती छोटे क्षेत्र में भी आसानी से की जा सकती है। अगर आपके पास एक से दो हेक्टेयर भी जमीन है, तो आप इसकी खेती से हर साल अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
जिले के एक युवा किसान मचान विधि से तोरई और लौकी की खेती करते हैं। इसमे उन्हें लागत के हिसाब से अच्छा मुनाफा भी हो रहा है। इसके लिए वह कई सालो से इन सब्जियों की खेती करके लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं। इन्होंने एक बीघे से तोरई, लौकी की खेती की शुरुआत की थी। इसमें उन्हें अच्छा मुनाफा देखने को मिला जिसके परिणामस्वरूप वह आज करीब तीन बीघे में तोरई और लौकी की खेती कर रहे हैं। इस खेती से उन्हें लगभग ढाई से तीन लाख रुपए मुनाफा प्रति फसल पर हो रहा है।
कम लागत में लाखों का मुनाफा
इस किसान भाईं ने बताया कि वह करीब चार सालों से सब्जियों की खेती कर रहे हैं। इस समय लौकी, तोरई तीन बीघे में लगी है, जो हम मचान विधि से कर रहे हैं। इसमें एक बीघे में करीब 8 से 10 हजार रुपये की लागत आती है तो वहीं, मुनाफा करीब एक फसल पर ढाई से तीन लाख रुपए तक आसानी से हो जाता है। मचान विधि फसल को खराब होने से बचाती है और बारिश के पानी से फसलों को कोई नुकसान नहीं होता है। साथ ही रोग लगने का खतरा भी कम रहता है।
फसल में अगर रोग लगता है, तो कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करने में भी आसानी होती है। इससे सब्जियां अच्छी होने के साथ-साथ उनकी पैदावार भी ज्यादा होती है और बाजार में इनकी कीमत भी अच्छी मिलती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।