किसान अब करें लाल भिंड़ी की खेती Publish Date : 01/08/2024
किसान अब करें लाल भिंड़ी की खेती
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षां रानी
60 दिनों में फसल पककर हो जाती है तैयार
आजकल किचन गार्डंन में लाल रंग की भिंड़ी उपजाने का चलन बढ़ा है।किसानों का इसके सम्बन्ध में कहना है कि लाल भिंड़ी की खेती करने सक न केवल इसकी फसल अच्छी प्राप्त होती है बल्कि धरती की उर्वंराशक्ति भी पहले से बेहतर हो जाती है। इसके अलावा लाल भिंड़ी मानव शरीर की इम्यमनिटी यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता के बूस्टर के रूप में भी काम करती है।
सरदार वल्लभभाइ पटेल कृषि एवं प्रौधेगिक विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 आर. एस. सेंगर के दिशानिर्देंशन में किसानों को लाल भिंड़ी का बीज परीक्षण के तौर पर उपलब्ध कराया गया, जिसे परिणाम काफी उत्साहजनक सामने आए हैं।
लाल भिंड़ी की बुआईं 15 फरवरी से 15 मार्चं और 15 जून से 15 जुलाईं तक की जाती है, इन दोनों मौसम में लाल भिंड़ी की बुआईं की जा सकती है तथा रबी और खरीफ के सीजन लाल भिंड़ी की बुआईं करने का काम किया जा सकता है।
डॉ0 सेंगर ने बताया कि फसल के तैयार हो जाने के बाद प्रत्येक दो दिन पर लाल भिंड़ी की तड़ाईं की जा सकती है। लाल भिंड़ी की खेती करने के लिए किसानों को ऊँची एवं अच्छे जल निकास वाली भूमि का चयन करना चाहिए। लाल भिंड़ी की खेती के लिए दोमट मिट्टी को सर्वोंत्तम माना जाता है। लाल भिंड़ी की खेती के लिए इसके पौधों के बीच की दूरी 25 से 30 सेमी0 तथा पंक्ति से पंक्ति की इूरी 60 सेमी0 रखनी चाहिए।
गुणों से भरपूर होती है लाल भिंड़ी
लाल भिंड़ी की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि काशाी लालिमा प्रजाति की लाल भिंड़ी का उपयोग देश की मिट्टी एवं आबोहवा में अच्छी फसल प्राप्त होती है, इसके अतिरिक्त लाल भिंड़ी मे हरे रंग की भिंड़ी की अपेक्षा आयरन, पोटेशियम, पोटीन, कैल्शियम एवं फाइबर पर्यांप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।