
देश में दलहन संकट गंभीर Publish Date : 26/07/2024
देश में दलहन संकट गंभीर
डॉ0 आर. एस. सेंगर
देश में दलहन संकट गंभीर होता जा रहा है, इसका मुख्य कारण किसे माना जाए और इसका निदान कैसे हो
दलहनी फसलों का उत्पादन पूरे विश्व में घटा है, इसके चलते इनके दामों में इतनी तेजी आई है। वैसे भारत में किसानों का दलहन फसलों के प्रति मोह दिनों दिन कम होता जा रहा है। इस पर गंभीर ध्यान नहीं दिया गया तो निकट भविष्य में अधिक सुधार के आसार नजर नहीं आ रहें हैं। दरअसल दालों की खेती बेहद नाजुक होती है और मौसम की मार के साथ-साथ कीट एवं बीमारियों का प्रकोप भी इन्हें आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है।
जोखिमों से भरी खेती होने के बाद भी किसानों को लाभकारी मूल्य न मिले तो उनका दलहनी खेती से भंग होना स्वभाविक ही है। इसके लिए जरूरी है कि दलहन की खेती की उपयोगिता की जानकारी किसानों को विस्मार से दी जाए। इससे किसान अपने फसल चक्र में दलहनी फसलों का समावेश जरूर करगें। दलहनी फसलों से मृदा की उर्वरता बढ़ेगी और भविष्य में उत्पादन भी अच्छा होगा।
इस समय कृषि के बदलते परिवेश एवं देश में जनसंख्या को विस्फोटक वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए हमें बीज उत्पादन के क्षेत्र में वृद्धि कारक कार्यक्रमों को भी संचालित करना होगा। क्योंकि जब तक देश में जनसंख्या वृद्धि दर स्थिर नहीं होती, तब तक खाद्यान्न और अन्य कृषि आधारित आवश्यकताएं बढ़ती ही रहेगी। यद्यपि हमने विगत वर्षों में बीज उत्पादन में उपलब्धियां के नए मापदंड स्थापित किए हैं, लेकिन फिर भी इन सारी उपलब्धियों के बावजूद और मांग में वृद्धि को देखते हुए हमें विभिन्न नवीनतम प्रजातियों एवं उपजातियों की शंकर किस्म, विशेषतया सब्जी बीज की शंकर किस्म के उत्पादन पर भी बल देना होगा।
इसके साथ ही रोग एवं कीट रोधी किस्म के उत्पादन कार्यक्रम में सम्मिलित करने के अतिरिक्त तकनीकी प्रशिक्षकों पर विशेष ध्यान देना होगा। हमें बीजों के समान वितरण कार्यक्रम को सुनिश्चित करते हुए।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।