शानदार आय के लिए कौंदों की खेती करें जुलाई के महीने में

                   शानदार आय के लिए कौंदों की खेती करें जुलाई के महीने में

                                                                                                                                                                                        डॉ. आर. एस. सेंगर

श्री अन्न के नाम से जाने जाने वाला मोटा अनाज, जिनकी खेती भारत में प्राचीन काल से ही की जाती रही है। एक समय में यह अनाज हमारे खानपान का मुख्य हिस्सा हुआ करता थे। लेकिन बदलते वक्त के बाद मोटा अनाज हमारी थाली से गायब हो गया और उसका स्थान गेंहूँ आदि अनाजों ने लिया। इन मोटे अनाज में अन्य अनाजों की अपेक्षा कहीं अधिक विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं।

                                                                         

वर्ष 2024 को श्री अन्न वर्ष के रूप में मनाया जा रहा तो इसके चलते अब सरकार भी अब मोटे अनाज की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भी यह कहना है कि यदि सभी लोग मोटे अनाज को अपने आहार में आवश्यक रूप से शामिल करें तो इससे उन्हें स्वास्थ्य लाभ होगा और इसी के चलते अब मोटे अनाज की खेती की और भी किसानों का रुझान तेजी से बढ़ने लगा है।

स्रदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ केे कृषि वैज्ञानिक डॉ. आर. एस. सेंगर ने बताया कि मोटे अनाजों में अगर कोदो की बात करें तो यह खरीफ की एक मुख्य फसल है। बारिश आधारित इस फसल की बुवाई जुलाई के महीने के अंत तक की जाती है। यह बेहद कम लागत में तैयार होने वाली फसल है और इससे किसानों को अच्छी आमदनी भी प्राप्त होती है। इतना ही नहीं कोदो में अन्य अनाजों के मुकाबले पोषक तत्व भी अधिक पाए जाते हैं। कोदो की बुवाई के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को मिनी सीड किट भी निशुल्क प्रदान की जाती है।

खेत की तैयारी

डॉ. सेंगर ने बताया कि कोदो की बुवाई करने के लिए सबसे पहले डिस्क हैरो से खेत को जोत लें, उसके एक बार रोटावेटर से खेत को जोत दें। रोटावेटर से जुताई करने के बाद मिट्टी भुरभुरी हो जाती है, इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें। समतल करने के बाद कोदो की बुवाई की जा सकती है। कोदो की बुवाई के लिए 8 से 10 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की दर से बोना चाहिए। कोदो की बुवाई करते समय लाइन से लाइन की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. जिससे किसानों को अच्छी आमदनी मिलेगी।.

कोदो की बुवाई करने का तरीका

                                                                     

डॉ. सेंगर ने बताया कि खेत की अंतिम जुताई करने से पहले दो ट्राली गोबर की अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद, 40 किलो नाइट्रोजन, 30 से 40 किलो फास्फोरस और 20 से 25 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालकर खेत की जुताई कर दें। इसके बाद कोदो के बीज की बुवाई कर देनी चाहिए।

पोषक तत्वों की खान है कोदो

डॉ. सेंगर ने बताया कि मोटे अनाज कोदो में आयरन, जिंक और मैंगनीज प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो कि दूसरे अनाजों के मुकाबले कहीं अधिक होता है। नियमित तौर पर कोदो का सेवन करने से मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है।

कम लागत और अधिक मुनाफा

                                                                        

डॉ. सेंगर ने बताया कि कोदो की फसल 60 से 80 दिन में पक कर तैयार हो जाने वाली फसल है. जिसके माध्यम से किसानों को 15 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की दर से उपज प्राप्त होती है। कोदो का बाजार में भाव करीब 2400 से 2500 रूपए प्रति क्विंटल तक रहता है. जिसकी वजह से किसानों को बेहद कम लागत में अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।