गन्ने की उन्नत खेती के सन्दर्भ में कार्य

                   गन्ने की उन्नत खेती के सन्दर्भ में कार्य

                                                                                                                                                                                           डॉ0 आर. एस. सेंगर

                                                            

गन्ने की फसल को गर्मी से बचाएं और प्रत्येक दस दिन के अन्तराल पर करते रहें सिंचाई-

  • गर्मी में होने वाले प्रतिकूल प्रभाव
  • पत्तियों के माध्यम से होने वाले वाष्पोत्सर्जन के चलते गन्ने के पौधे सूखने लगते हैं।
  • गन्ने का फुटाव थम जाता है।
  • पौधा पोषक तत्वों को ग्रहण कर पाने में सक्षम नही रहता।
  • विलम्बित सिंचाई के कारण उपज में होने वाली हानि की पूर्ति बाद में कर पाना असम्भव होता है।

अतः किसानों को चाहिए कि वह प्रति दस दिन के अन्तराल पर अपनी फसल की सिंचाई आवश्यक रूप से करते रहें तो लाभ होगा।

  • वृक्षों के माध्यम से मानव जाति को प्राप्त होने वाले लाभ
  • प्राण वायु का संचार।
  • पथिकों को छाया।
  • भूमि की बंजरता की स्थिति में अपेक्षित सुधार।
  • पर्यटन में वृद्वि।
  • रोजगार के अवसरों का सृजन।
  • फूल एवं फलों की प्राप्ति।
  • विभिन्न प्रकार की औषधियों का निर्माण में सहायक।
  • कच्चे माल की प्राप्ति।
  • भू-जल के स्तर में वृद्वि।
  • राष्ट्रीय आय में वृद्वि।
  • रेगिस्तान के विस्तार पर प्रभावी नियंत्रण।
  • पर्यावरण में सुधार।
  • इमारती लकड़ी की प्राप्ति।
  • बाढ़ के नियंत्रण में सहायता।
  • इंधन की प्राप्ति।
  • पृथ्वी की सुन्दरता और उसकी शोभा में वृद्वि।
  • जलवायु पर नियंत्रण।
  • पशु एवं पक्षियों का आवास स्थल।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।