टमाटर की खेती की वैज्ञानिक विधि

                        टमाटर की खेती की वैज्ञानिक विधि

                                                                                                                                                    डॉ0 आर. एस. सेगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

‘‘टमाटर की वैज्ञानिक खेती को अपनाकर आमदनी बढ़ा सकते हैं किसान‘‘

                                                            

भूमि का चुनाव –

बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जल निकास अच्छा हो टमाटर की खेती के लिये उपयुक्त होती हैं। भूमि का पी. एच. मान 6 से 7 तक हो।

भूमि की तैयारी-

खेत की भूमि में दो या तीन बार जुताई करने के बाद बखर चलाकर मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरी बना लें तथा पाटा लगाकर खेत को सममतल बना लें।

टमाटर की प्रजातियांः

                                                                

लक्ष्मी 5005, सुपर लक्ष्मी, काशी अमृत, काशी अनुपम, काशी विशेष, पूसा सदाबहार, अर्का सौरभ, अर्का विकास, अर्का आभा, अर्का विशाल, जवाहर टमाटर-991 आदि टमाटर की उन्नत किस्में हैं।

फसल चक्रः

भिण्डी-टमाटर, खीरा, बरबटी, टमाटर -करेला, खीरा टमाटर - लौकी आदि को फसल चक्र के रूप में अपनाया जा सकता है।

बीज एवं बीजोपचारः

टमाटर का बीज 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से लगता है। नर्सरी में बीज बोने के पूर्व थायरम या डायथेन एम-45 नामक 3 ग्राम दवा की प्रति किलो ग्राम के बीज की दर से उपचारित कर टमाटर वर्ष भर उगाया जा सकता हैं तथा इसका उत्पादन करना बहुत सरल हैं।

टमाटर का उपयोगः

सब्जी सूप, सलाद, अचार, केचप, प्यूरी एवं सॉस आदि के बनाने में टमाटर का उपयोग किया जाता हैं। यह विटमिन ए. बी. और सी. का अच्छा स्त्रोत हैं। इसके उपयोग से कब्ज दूर होता है।

रोपणी तैयार करनाः

                                                       

पौधशाला की मिट्टी को कीटाणु एवं रोगाणु रहित बनाना अति आवश्यक होता है। इसके लिये क्यारियों को सौर ऊर्जा से उपचारित करें। इसमें तैयार क्यारियों (3.5Û1.0 मी.) को पॉलीथिन शीट से ढंककर करीब 20 से 25 दिन तक रखें। बोवाई के 10 दिन पहले प्रत्येक क्यारियों में 10-20 किलो ग्राम अच्छी तरह से सड़ी गोबर खाद तथा 500 ग्राम 15: 15: 15 सकुल उर्वरक डालें।

नर्सरी क्यारियों में कतार से कतार 10 से.मी. और बीज की दूरी 5 से.मी. (कतार में रखते हुये एक इंच की गहराई पर बीज को बोयें। बोवाई के बाद क्यारियों को कांस अथवा सूखे पुआल से ढंक दे। इसके तुरंत बाद सिंचाई करें। आवश्यतानुसार सिंचाई और पौध संरक्षण करते रहें। पौध रोपाई अच्छी तरह तैयार खेत में सांयकालीन समय में कतार से कतार 60 से.मी. तथा पौधे से पौधे 30-45 की दूरी पर करें।

खेती-बाड़ी एवं नई तकनीकी से खेती करने हेतु समस्त जानकारी के लिए हमारी वेबसाईट किसान जागरण डॉट कॉम को देखें। कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान एवं हेल्थ से संबंधित जानकारी हासिल करने के लिए अपने सवाल भी उपरोक्त वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं। विषय विशेषज्ञों द्वारा आपकी कृषि संबंधी जानकारी दी जाएगी और साथ ही हेल्थ से संबंधित सभी समस्याओं को आप लिखकर भेज सकते हैं, जिनका जवाब हमारे डॉक्टरों के द्वारा दिया जाएगा।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।