मक्के की इन किस्मों की बुवाई से कम लागत में किसानों को मिलेगी बंपर उपज

मक्के की इन किस्मों की बुवाई से कम लागत में किसानों को मिलेगी बंपर उपज

                                                                                                                                              डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं गरिमा शर्मा

मक्का की खेती किसान साल में तीन बार कर सकते हैं। खरीफ मौसम में जून से जुलाई महीने में, रबी मौसम में अक्टूबर से नवंबर महीने में और जायद मौसम में मार्च से लेकर अप्रैल महीने तक मक्का की बुवाई की जा सकती है। यहां पर अधिक उपज देने वाली मक्के की उन्नत किस्मों के बारे में बताया जा रहा है।

                                                                       

जायद सीजन की फसलों की बुवाई का समय अब चल रहा है। इनमें किसान मक्के की खेती कर सकते हैं। दरअसल, बदलते मौसम के इस दौर में मक्के की खेती का महत्व काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस फसल की खासियत यह है कि इसे महज 3 महीने में तैयार किया जा सकता है तो वहीं, इसका उत्पादन भी अन्य फसलों से अधिक होता है। यही कारण है कि किसान इस फसल को उगाना पसंद करते हैं। लेकिन ज्यादातर किसान सही मौसम और मिट्टी की जरूरत के हिसाब से उन्नत बीजों का चुनाव नहीं कर पाते हैं। इस वजह से उन्हें सही उपज नहीं मिल पाती है। ऐसे में किसानों के लिए जरूरी है कि वो सही किस्मों का चयन करें।

मक्का की खेती किसान साल में तीन बार कर सकते हैं। खरीफ मौसम में जून से जुलाई महीने में, रबी मौसम में अक्टूबर से नवंबर महीने में और जायद मौसम में मार्च से लेकर अप्रैल महीने तक मक्का की खेती कर सकते हैं। ऐसे में किसान मक्के की इन टॉप अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों की खेती कर सकते हैं।

मक्का की कुछ उन्नत किस्में

                                                                              

पार्वती किस्मः मक्का की इस वैरायटी के बीज की बुवाई करने के बाद 100 से 115 दिन में अच्छे से पक कर तैयार हो जाती है। मक्का के इस किस्म के पौधे की ऊंचाई माध्यम होती है। इसके एक पौधे में 2 से 3 भुट्टे लगते हैं। इस किस्म के दाने का रंग नारंगी और पीला होता है और बीज कठोर होता है। इस किस्म के बीज की बुवाई एक एकड़ में करने पर 13 से 15 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।

प्रकाश जे. एच. 3189:- मक्के की इस उन्नत वैरायटी के बीज की बुवाई पुरे भारत में की जाती है। साथ ही मक्के की ये किस्म जल्द पक के तैयार हो जाती है, यानि के बीज बुवाई के बाद 80 से 90 दिन में अच्छे से पक जाती है। इस किस्म की बुवाई एक एकड़ में की है तो 26 से 32 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त हो सकता है।

                                                                    

एक्स 1174 :- मक्के की इस उन्नत वैरायटी के बीज बुवाई के बाद 85 से 90 दिन में अच्छे से पक के तैयार हो जाता है। इन के दाने पीले नारंगी रंग के होते हैं। इसके बीज की बुवाई एक हेक्टेयर जमीन में की जाए तो 30 से 35 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त हो सकता है।

मक्का की शक्ति-1:- मक्का की इस उन्नत किस्म का उपयोग ज्यादातर लोग खाने के लिए करते हैं। इसलिए इस किस्म की खेती देश बड़े पैमाने पर की जाती है। ये किस्म बुवाई के बाद 90 से 95 दिन में अच्छे से पक के तैयार हो जाता है और एक हेक्टर जमीन से 56 से 62 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।

पूसा हाइब्रिड-1:- मक्के की यह किस्म देश के कुछ राज्य के किसान को बहुत ही पसंद है, जैसे की तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक इस राज्य के किसान को मक्के की यह किस्म अधिक लोकप्रिय है। इन उन्नत वैरायटीज बुवाई के बाद 75 से 80 दिन में अच्छे से पक के तैयार हो जाता है और एक हेक्टेयर जमीन में से 55 से 65 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त होता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।