गन्ने की 900 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की पैदावार      Publish Date : 30/04/2024

                            गन्ने की 900 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की पैदावार

                                                                                                                             डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं आकांक्षा सिंह

गन्ने की इस किस्म की विशेषताएं और इसकी खेती से प्राप्त होने वाले लाभ:

                                                                             

गन्ने की खेती (Cultivation of Sugarcane) करने वाले किसानों के लिए गन्ने की एक ऐसी विशेष किस्म है जो किसानों की आय को बढ़ाने में सहायक हो सकती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस गन्ने की इस किस्म की खेती करके बहुत से किसान मालामाल भी हो रहे हैं। दरअसल गन्ने की इस किस्म से किसान गुड़ बनाकर काफी अच्छा पैसा कमा रहे हैं। इस किस्म से बनने वाला गुड़ काफी अच्छी क्वालिटी का बताया जा रहा है और इसकी बाजार में भी मांग बढ़ रही है।

ऐसे में अधिकांश किसान गन्ने की इस किस्म की खेती करना ही पसंद कर रहे है। गन्ने की खेती के अन्तर्गत देश में सबसे पहला स्थान उत्तर प्रदेश का आता है। ऐसे में यहां के किसान गन्ने की इस विशेष किस्म की खेती करके काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

गन्ने की किस्म 14201 (Introduction to Variety 14201)

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ की ओर से जारी की गई गन्ने की किस्म 14201 का विकास किया गया है। इस किस्म को वर्ष 2000 में विकसित किया गया था, लेकिन अब यह किस्म किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है। यह किस्म गन्ने की 0238 किस्म के बाद तेजी से लोकप्रिय होती दूसरी अच्छी किस्म मानी जा रही है। गन्ने की यह किस्म गुड़ बनाने के लिए भी बहुत उपयोगी पाई गई है। ऐसे में देश के तमाम गन्ना किसान इस किस्म की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

गन्ने की किस्म 14201 की विशेषताएं

                                                        

गन्ने की किस्म 14201 को बंसतकालीन गन्ने की अब तक की सबसे अच्छी किस्म माना जा रहा है। इस किस्म के गन्ने में कई विशेषताएं पाई जाती हैं, जो इसको खास बनाती है। गन्ने की इस किस्म की प्रमुख विशेषताएं अग्रलिखित हैं-

1.   इस किस्म का गन्ना सीधा खड़ा रहता है।

2.   देर से पकने वाली गन्ने की किस्म 14233 के मुकाबले गन्ने की 14201 किस्म का गन्ना सीधा, मोटा और मध्यम कड़ा होने के साथ ठोस भी होता है।

3.   गन्ने की इस किस्म में शर्करा की मात्रा 18.6 प्रतिशत होती है, जबकि इसका पोल प्रतिशत 14.55 होता है।

4.   गन्ने की यह किस्म लाल सड़न सहित अन्य रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी होती है।

5.   गन्ने की इस किस्म से बनने वाले गुड़ का रंग देखने में आकर्षक और बेहतर क्वालिटी वाला होता है।

6.   गन्ने की 14201 किस्म का उत्पादन प्रति हैक्टेयर 900 क्विंटल तक प्राप्त किया जाना सम्भव है।

किसानों को कृषि एक्सपर्ट की सलाह-

एक ही प्रजाति पर निर्भर नहीं रहे किसान

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. आलोक शिव ने किसानों को सुझाव दिया है कि किसानों को 50 प्रतिशत अर्ली गन्ने की बुवाई करनी चाहिए और 50 प्रतिशत सामान्य जाति के गन्ने की बुवाई करनी चाहिए। किसानों को एक प्रजाति या किस्म के गन्ने पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। यदि किसान खेत में दो प्रजाति के गन्ने की खेती आधे-आधे क्षेत्र में करते हैं तो इससे होने वाले नुकसान की संभावना को काफी कम किया जा सकता है और लाभ की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।

किसानों के बीच गन्ने की को. 0238 किस्म भी है लोकप्रिय

उपरोक्त किस्म के अलावा गन्ने की को. 0238 किस्म भी यूपी के गन्ना किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस किस्म के कारण ही न सिर्फ यूपी के किसानों की किस्मत बदली है, बल्कि उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन के साथ ही चीनी उत्पादन में भी नंबर वन बन गया है।

गन्ने की को. 0238 किस्म की विभिन्न विशेषताएं

                                                                         

गन्ने की अधिक पैदावार वाली किस्मों में को. 0238 का नाम सबसे पहले आता है। यह गन्ने की अधिक उपज देने वाली किस्म मानी जाती है और यह किसानों के बीच भी काफी लोकप्रिय है। यूपी में अधिकांश किसान इस किस्म के गन्ने की ही खेती करते हैं। यह किस्म भी लाल सड़न रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी किस्म हैं। यह गन्ने की एक अर्ली किस्म है जिसे वर्ष 2009 में कृषि विज्ञानियों के द्वारा खोजा गया था।

इस प्रजाति का गन्ना वजन में तो बेहतर होता है। साथ ही इसका उत्पादन भी बेहतर होता है। गन्ने की इस प्रजाति में रोग भी कम लगते हैं। गन्ने की यह प्रजाति दोमट, बलुई सहित सभी प्रकार की मिट्टियों में आसानी से उगाई जा सकती है। इस प्रजाति का गन्ना सीधा और लंबा होता है। उत्तराखंड में इसकी औसत उपज 750 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से लेकर 800 क्विंटल तक है।

गन्ने की निम्न प्रजातियों की खेती ना करें किसान

गन्ने की 11015 और पीवी 95 किस्म को बैन कर दिया गया है, क्योंकि यह किस्में पूरी तरह से लाल सड़न रोग से प्रभावित हो चुकी है। ऐसे में किसानों को गन्ने की इन किस्मों की खेती नहीं करनी चाहिए। हालांकि लाल सड़न रोग से 0238 किस्म भी प्रभावित हो चुकी है लेकिन यह किस्म उत्तर प्रदेश की एक सबसे चर्चित किस्म है। इस किस्म की वजह से ही आज उत्तर प्रदेश गन्ना और चीनी उत्पादन में सबसे उच्च स्थान पर है।

ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि गन्ने की प्रजाति का चयन अपने क्षेत्र और जलवायु के हिसाब से करें। इसके लिए किसान गन्ना अनुसंधान संस्थान की ओर क्षेत्र के अनुसार अनुशंसित किस्मों की ही बुवाई करें। हालांकि किसान इसके लिए आप गन्ना अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों से सलाह भी ले सकते हैं। इसके अलावा आप अपने क्षेत्र के कृषि विभाग के अधिकारियों से भी इस संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।