गन्ने के भुगतान से राहत मिली तो लाल सड़न ने फेरा अरमानों पर पानी Publish Date : 10/04/2024
गन्ने के भुगतान से राहत मिली तो लाल सड़न ने फेरा अरमानों पर पानी
डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 कृषाणु
बिजनौर के उमरी गांव के रहने वाले और अपनी इंजीनियर की नौकरी छोड़कर गन्ने की सहफसली की खेती करके 20 लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं। ड्रेगेन फूड की खेती ने उन्हें बहुत हौसला दिया है। इस युवा किसान से प्रेरणा लेकर अन्य किसानों का भी गन्ने की खेती करने की ओर रुझान बढ़ा है। बिलारी के थांवला गांव के किसान मुहम्मद मुबीन ने टंच विधि से गन्ने की खेती करके 23 फिट लंबे गन्ने की पैदावार लेकर अन्य गन्ना किसानों को एक नई उर्जा प्रदान की है।
युवा किसान गन्ने के साथ सहफसली को अपनी आमदनी बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका बता रहे हैं। गन्ने के भुगतान में भी अब लगातार सुधार हो रहा है लेकिन, लाल सड़न रोग ने इस साल सैकड़ों गन्ना किसानों के अरमानों पर पानी भी फेर दिया है। मुरादाबाद मंडल के बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा, संभल और रामपुर आदि जिलों में सात लाख 59 हजार के आसपास गन्ना किसान हैं, जो गन्ने की खेती कर रहे हैं।
इस वर्ष चालू पेराई सत्र के अन्तर्गत गन्ने का क्षेत्रफल 05 लाख 35 हजार 752 हेक्टेयर था। इसमें से 16 हजार 292 हेक्टेयर गन्ने की फसल लाल सड़न रोग लगने के कारण बर्बाद हो गई है। गन्ना विभाग के अधिकारी इससे बचने के लिए किसानों को नई प्रजाति का गन्ना बोने की सलाह दे रहे हैं। 0238 प्रजाति के गन्ने में लाल सड़न रोग लग रहा है। इसे बोने के लिए बीज और खेत का उपचार के तरीके गांव-गांव जाकर गन्ना विभाग की टीमें बता रही हैं। इसके कारण गन्ने का रकबा इस साल लगभग 3.42 प्रतिशत बढ़ा है।
किसानों की बात
किसानों के लिए गन्ने की खेती बहुत लाभकारी है। इसमें किसानों को एकमुश्त धनराशि मिल जाती है। इसमें किसान को अधक जोखिम भी नहीं उठाना पड़ता है। इसलिए युवा किसान गन्ने की खेती करने के लिए अब आगे आ रहे हैं।
- गौरव कुमार, गन्ना किसान, मुरादाबाद।
गन्ने की खेती में किसानों को एक नयापन लाने की जरूरत है। हमने गन्ने के साथ ड्रैगन फ्रूट की खेती करके अपनी आमदनी को बढ़ाने का काम किया है। इसके साथ ही हमने सहफसली के लिए अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
- ऋतुराज सिंह, युवा किसान, बिजनौर।
मेरा गन्ना मेरी मशीन नामक एक अभियान चलाया जा रहा है। हम पंजाब से एक मशीन लेकर आए हैं, जिसके माध्यम से एक ही व्यक्ति अपने गन्ने की रस से विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट्स तैयार कर सकता है और ऐसा करने से गन्ना किसानों की आय भी बढ़ेगी।
-अरेन्द्र बढ़गौती, एक प्रगतिशील किसान।
बेसहारा पशु गन्ने के खेती को सबसे कम नुकसान पहुंचाते हैं। इस फसल में जोखिम कम रहता है और नकद धनराशि किसानों को मिल जाती है। इसलिए गन्ने का क्षेत्रफल लगातार बढ़ रहा है।
- डा. दीपक मेहंदीरत्ता, निदेशक, मनोहरपुर प्रशिक्षण केंद्र।
जनपद में गन्ने की पैदावार (लाख क्विंटल)
- 2,375.79 बिजनौर
- 818.35 अमरोहा
- 291.22 रामपुर
- 670.16 मुरादाबाद
- 435.71 सम्भल
- 4,591.23 कुल गन्ना
- 20 लाख रूपये सालाना कमा रहे बिजनौर के युवा किसान, सहफसली खेती करके।
- मंडल में 07 लाख 59 हजार किसान हैं।
- पूरे मंड़ल में 23 चीनी मिल स्थापित हैं।
मंडल की चीनी मिलों द्वारा 19 मार्च तक 14 दिन के गन्ना भुगतान की स्थिति |
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भुगतान का वर्ष |
देय राशि |
बकाया |
भुगतान (प्रतिशत में) |
वर्ष 2022-23 |
5578.76 |
791.54 |
85.81 |
वर्ष 2023-24 |
6010.35 |
536.26 |
91.08 |
(देय राशि व बकाया करोड़ रुपये में हैं)
गन्ने के रकबे का बढ़ने के कारण
- गन्ने की बुआई एक साल से तीन साल तक फसल प्राप्त होना।
- किसान को गन्ने से एकमुश्त धनराशि मिलने की आस रहती है।
- गन्ना काटने के बाद, किसान बोनस से तौर पर अन्य फसलें भी ले लेता है।
- किसान को गन्ने की फसल में जोखिम सबसे कम उठाना पड़ता है।
- गन्ने की फसल के साथ ही वर्तमान में मूंग, उड़द, लोबिया, सरसों, गेहूं और टमाटर आदि की सहफसली खेती भी की जा रही है।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।