अनार की खेती के लिए उपयोगी टिप्स      Publish Date : 29/03/2024

                     अनार की खेती के लिए उपयोगी टिप्स

                                                                                                                                                     डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

अनार उगाने वाले किसान ध्यान दें, फूल तो खूब आता लेकिन फल नही आते-

                                                           

1. अनार में इन दिनों फल खत्म हुआ होगा आप अनार की ढंग से कटाई छंटाई करें।

 

2. यदि झाड़ीनुमा पौधा हो गया तो प्रॉपर हवा और धूप ना मिलने की वजह से उत्पादन प्रभावित होता है।

 

3. सुखी रोगग्रस्त और एक दूसरे को क्रॉस करने वाली सभी शाखाओं को काटकर उन पर कॉपर ऑक्सी क्लोराइड का लेप कर दें जिससे फँसग और वायरस जनित बीमारी ना बढ़ने पाए।

 

4. साधारणतया अनार एक साल में तीन बार फल देता है। आप अच्छे और गुणवत्तापूर्ण फल प्राप्त करने के लिए वर्ष में सिर्फ एक बार ही फल लें, बाकी समय आने वाले फूलो को तोड़कर गिरा दें, यह कार्य आप हाथ से या कैमिकल्स का स्प्रे करके कर सकते है।

 

5. फूल आने से पूर्व पौधे की गुड़ाई ढंग से करें। पौधे की उम्र के अनुसार उसमे पोषक तत्वो का उपयोग करें। पांच वर्ष बाद प्रत्येक पौधों को क्रमशः 625 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फास्फोरस तथा 250 ग्राम पोटेशियम दिया जाना चाहिए।

 

6. फूल आते समय पानी कम दें एवं प्लानोफिक्स 3 उस दवाई को 15 लीटर पानी मे मिलाकर स्प्रे करें, इससे आपके बगीचे में फूल का गिरना कम हो जाएगा।

 

7. जिन क्षेत्रों मे सिंचाई की सुविधा नही होती है, वहाँ रुमृग-बहार से फल लिये जाते हैं, तथा जिन क्षेत्रों में सिचाई की सुविधा होती है वहॉ फल अम्बें बहार से लिए जाते हैं। बहार नियंत्रण के लिए जिस बहार से फल लेने हो, उसके फूल आने से 45-60  दिन पूर्व सिचाई बन्द कर देनी चाहिये।

 

8. जहां पानी की समस्या हो जैसे कि राजस्थान, उन क्षेत्रों में रुमृग-बाहर लेते है। इसके लिए मार्च से मई के महीनों में पौधे को पानी नही देते और जैसे ही पौधे सुप्त अवस्था में आते हैं, तो उनकी पत्तियाँ झड़ जाती हैं। बरसात का मौसम शुरू होने से ठीक पहले, खाद और उर्वरकों का उपयोग पौधे की उम्र के अनुसार किया जाता है, और हल्की सिंचाई के बाद सात दिनों के अंतराल पर दो महत्वपूर्ण सिंचाई की जाती है। 15 दिनों के भीतर पेड़ तेजी से बढ़ेंगे, फल और फूल पैदा करेंगे और नई वृद्धि करेंगे। फल अक्टूबर में पकना शुरू हो जाते हैं और दिसंबर- जनवरी तक पकते रहते हैं।

 

9. जिन स्थानों पर गर्म मौसम के दौरान पानी उपलब्ध होता है। इसमे फरवरी-मार्च के महीने में फूल आने लगते है इसके फल जून-जुलाई में उपलब्ध होते हैं। अक्टूबर-नवंबर में गुड़ाई करके या जुताई करने पर पेड़ अपने पत्ते गिरा देते हैं।

 

 दिसंबर और जनवरी में खाद का छिड़काव किया जाता है। पहली सिंचाई जनवरी में की जाती है और इस सिंचाई के एक महीने के भीतर फूल खिलने लगते हैं। पश्चिमी महाराष्ट्र के शुष्क क्षेत्रों में अंबे बहार को मृग बहार की तुलना में अधिक प्रभावी उपचार माना गया है।

                                                                 

10. हस्त बहारः- इसका उपयोग बहुत कम किया जाता है। पेड़ों को सुप्त बनाने के लिए अगस्त से सितंबर तक का समय इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इस अवधि के दौरान होने वाली बारिश के कारण यह अप्रत्याशित है।

 

यह उपचार लोकप्रिय है क्योंकि यह फलों के लिए उच्च बाजार मूल्य की गारंटी देता है। हस्त बहार के फलों का छिलका (त्वचा) और गहरे रंग के दाने बहुत आकर्षक होते हैं और इन्हें मार्च से अप्रैल तक तोड़ा जाता है। यह फल महंगे होते हैं क्योंकि इस मौसम में अनार की आपूर्ति सीमित ही होती है।

 

सिंचाई प्रतिबंधों के समय और बरसात के मौसम के कारण, इस दौरान इष्टतम जल तनाव पैदा नहीं किया जा सकता है। इससे फूल खराब आते हैं, जिससे फसल की पैदावार कम हो जाती है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।